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Maithali Sharan Gupt: वो रचना, जिसनेBritish rule को हिला दिया और इस पर ban लगाना पड़ा

Movement Against: जब भारत अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन कर रहा था, उस वक्त कई स्वतंत्रता सेनानी अपनी जान की परवाह ना करते हुए जंग लड़ रहे थे. कई सेनानी हथियारों से लड़ाई लड़ रहे थे तो कुछ लोग ऐसे भी थे, जो अपनी कलम से भी इस जंग में अंग्रेजों पर भारी पड़ रहे थे.
 
Maithali Sharan Gupt: वो रचना, जिसनेBritish rule को हिला दिया और  इस पर ban लगाना पड़ा

Haryana Update: उस वक्त अंग्रेज लेखकों से भी उतना ही डर रहे थे, जितना revolutionaries से. उसी दौर में एक Indian writer ऐसी रचना लिखी था कि अंग्रेजों को इस पर ban लगाना पड़ा था. कहा जाता है कि उस रचना से इतने लोग प्रभावित हो रहे थे कि इसने ब्रिटिश हुकूमत को हिला दिया था. इस खास रचना के रचयिता थे Maithali Sharan Gupt.
 

 


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मैथिलीशरण गुप्त उस दौर के महान लेखकों में से एक थे, जिन्हें Mathma Gandhi ने राष्ट्रकवि का दर्जा दिया था. आज उसी महान शख्सियत का जन्मदिवस है और उनके जन्मदिवस के मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी खास बातें और साथ ही जानते हैं उनकी उस रचना के बारे में, जिससे ब्रिटिश सरकार भी डरने लगी थी. वैसे मैथिलीशरण गुप्त अपनी रचनाओं के माध्यम से सदा अमर रहेंगे और आने वाली सदियों में नए कवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होंगे.

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How was the life of Maithilisharan?
उनका जन्म 3 अगस्त 1886 को एक वैश्य परिवार में हुआ था और उन्हें हिंदी, संस्कृत, बांग्ला कई भाषाओं का काफी ज्ञान था. कहा जाता है कि Pandit Mahavir Prasad Dwivedi की प्रेरणा से उन्होंने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और इस खड़ी बोली में कई काव्यों की रचना की. इसके बाद आने वाले कई कवियों ने उन्हें अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया. हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है. उनकी पहली रचना साल 1905 में ब्रजभाषा में थी, जिनका नाम रसिछेंद और सरस्वती था और इसके बाद उन्होंने खड़ी बोली में रचनाएं की.(His first composition was in the year 1905 in Brajbhasha, whose names were Rasichenda and Saraswati and after that he composed in Khari Boli.)

 

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इसके बाद उन्होंने रंग में भंग, जयद्रत-वध और भारत-भारती जैसी रचनाएं की, जिससे उन्हें खास पहचान मिली. (After this, he composed compositions like Rang Mein Bhang, Jayadrat-Vadh and Bharat-Bharati, which gave him special recognition.) ये भारत भारती उनके जीवन की अहम रचनाओं में से एक है, जिसके लिए कहा जाता है कि ये ऐसा संग्रह था कि इससे अंग्रेज भी डरने लगे थे और इसे बाद में बैन कर दिया गया था. इसके बैन होने का कारण इसका प्रचलित होना और उससे क्रांति के लिए जागरूक होना था.


 

What was the end in Bharat-Bharati?
आजादी की जंग के बीच IBharat Bharti ने भारत देश के glorious history का बोध करवाया. इसके बाद इसे स्कूलों से लेकर कई आंदोलनों में गाया गया. इसके बाद हम कौन थे क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी का विचार सभी के भीतर गूंज उठा. अभी इसके कई संस्करण निकल चुके हैं. gupt jiका Dear Hargitika Chhand इस कृति में प्रयुक्त हुआ है. ये तीन खंडों में बांटा गया है, जिसमें अतीत, वर्तमान और भविष्यत खंड शामिल है. It is divided into three sections, which include past, present and future sections.

(In the past section, India's pride, valor, ideals, art, culture, literature etc. have been told.) अतीत खंड में भारत के गौरव, वीरता, आदर्श, कला, संस्कृति, साहित आदि के बारे में बताया गया है. वहीं, वर्तमान खंड में भारत की स्थिति बताई गई है और जो भी गलत हो रहा है, उसे बताया गया. इसके अलावा भविष्यत् खंड में भारतीयों के लिए मंगलकामना की गई है. इसके अलावा उनकी प्रमुख रचनाएं जयद्रथ-वध, पंचवटी, साकेत, यशोधरा, द्वापर, मंगल-घर, विष्णु प्रिया आदि है.

(Apart from this, his main compositions are Jayadratha-Vadh, Panchavati, Saket, Yashodhara, Dwapar, Mangal-Ghar, Vishnu Priya etc.)
 

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