Rice export ban: भारत में चावल निर्यात पर लगी रोक, कम बारिश से गिर सकता है उत्पादन
Haryana Update: Farming NewsRice export ban: देश के कई इलाकों में कम बारिश की वजह से इस साल चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसके बाद यह संभावना बढ़ गई है कि भारत में अब (protect food security) खाद्य सुरक्षा की रक्षा के लिए गेहूं और चीनी के बाद चावल के निर्यात को भी प्रतिबंधित किया जा सकता है।
फसल ऐसे समय में कम हो रही है, जब बड़े पैमाने पर (food inflation) खाद्य मुद्रास्फीति दुनिया भर की (economies) अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा रही है। भारत का (India global rice trade)वैश्विक चावल व्यापार का लगभग 40% हिस्सा है। इससे व्यापारियों में चिंता बढ़ गई है कि अगर (rice Production)चावल के उत्पादन में गिरावट आई तो, संभावना है कि सरकार इसके निर्यात पर रोक लगा सकती है।
Paddy cultivation decreased this year
(India) भारत ने मई में गेहूं के शिपमेंट पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में है, क्योंकि कई राज्यों में रिकॉर्ड-टूटने वाली गर्मी की वजह से गेहूं की पैदावार कम हुई थी। भारत ने अपनी खाद्य आपूर्ति की सुरक्षा के लिए (sugar export) चीनी निर्यात पर भी रोक लगा दी थी। (Ministry of Agriculture) कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात कहा कि धान का रकबा 12 अगस्त तक गिरकर 30। 98 मिलियन हेक्टेयर (76। 55 मिलियन एकड़) रह गया है, जो एक साल पहले 35। 36 मिलियन हेक्टेयर था। हालांकि, गन्ने के लिए आवंटित क्षेत्र 5। 45 मिलियन से बढ़कर 5। 52 मिलियन हेक्टेयर हो गया है।
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There has been less rain in these areas
भारत में मानसून की बारिश अब तक औसत से 8% ज्यादा रही है, लेकिन उत्तरी राज्य Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इनकी कमी रही है। मानसून के मौसम के लिए बुवाई आम तौर पर मई के अंत में शुरू होती है और जुलाई में सबसे ज्यादा होती है। कटाई सितंबर के आखिर में शुरू होती है।
India exporting wheat to needy countries
(Ministry of Commerce) वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले (Directorate General of Foreign Trade (DGFT)) डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड यानी डीजीएफटी (DGFT) ने 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया था। हालांकि गेहूं निर्यात पर पाबंदियां लगने के बाद भी भारत जरूरतमंद देशों को इनकी आपूर्ति कर रहा है। (Russo-Ukraine War) रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजारों में गेहूं की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। दोनों ही देश गेहूं के बड़े उत्पादकों में हैं। वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति में रूस-यूक्रेन का हिस्सा करीब 25 फीसदी का है।
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