बैंकों के पास जमा 48,262 करोड़ रुपये का नहीं है कोई दावेदार
Haryana Update. Unclaimed Deposits In Banks: बैंकों में लाखों करोड़ रुपये ऐसे जमा हैं जिनका कोई दावेदार नहीं है.
Unclaimed Deposits In Banks: लोगों ने फिक्स्ड डिपॉजिट कराये हैं ये एफडी मैच्योर भी हो गए हैं लेकिन इन्हें भूनाने वाला कोई नहीं है. बैंकों और आरबीआई द्वारा समय समय पर जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स लगातार बढ़ता जा रहा है. माना जा रहा है कि हजारों करोड़ रुपये अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स के तौर पर जमा है जिसे कोई क्लेम करने वाला नहीं है. बैंकों में जमा अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स को लेकर आरबीआई की चिंता बढ़ती जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने बैंकों में जमा अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स के दावेदार की तलाश के लिए अब राष्ट्रीय अभियान चला रहा है. ये अभियान उन 8 राज्यों में चल रहा है, जहां बैंक खातों में सबसे ज्यादा अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स पड़े हैं.
48,262 करोड़ रुपये है अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स
रिजर्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो, वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकों में बिना दावे वाली रकम यानि अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स बढ़कर 48,262 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है. पिछले वित्त वर्ष में यह राशि 39,264 करोड़ रुपये थी. RBI के अनुसार इसमें सबसे ज्यादा राशि तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बैंकों में जमा हैं.
क्यों बढ़ रहा है अनक्लेमड डिपॉजिट्स
अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स बढ़ने की बड़ी वजहों में सेविंग अकाउंट और करंट अकाउंट को बंद नहीं करना प्रमुख वजहों में शामिल है. बैंक खाताधारक जिस अकाउंट को ऑपरेट नहीं करना चाहते हैं उस खाते को बंद नहीं करते हैं. कई बैंको के सामने ऐसी समस्या आती है, जब बैंक खातों (Bank Accounts) में पड़ी रकम का हक़दार कोई नहीं होता. ये ऐसे खाते होते है जिनको आप अपने परिवार जनो से छुपकर चलाते है. या यू कहे कि इन खातों में कोई नॉमिनी नहीं होता है. ऐसे मामले में खाताधारक की मृत्यु के बाद इन खातों में पड़ा पैसा किसी को नहीं मिल पाता है. साथ ही मैच्योर होने के बावजूद फिक्स्ड डिपॉजिट्स के रीडेम्प्शन क्लेम के लिए आवेदन नहीं करते हैं जिसके चलते अनक्लेमड डिपॉजिट्स बढ़ता जा रहा है. साथ ही कई खाताधारकों की मृत्यु हो जाने के बाद पैसे क्लेम करने के लिए नॉमिनी या फिर कानूनी उत्तराधिकारी बैंकों से क्लेम मांगने के लिए सामने नहीं आते हैं इसके चलते भी अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स में इजाफा हुआ है.
खातों में नहीं हुआ कोई लेनदेन
आपको जानकारी दे कि केंद्रीय बैंक के मानदंडों के अनुसार ऐसे बचत/चालू खाते भी है, जिनमें 10 साल तक लगातार किसी प्रकार का लेनदेन नहीं हुआ है या 10 साल तक कोई दावा नहीं किया है. उसे 'बिना दावा वाली जमा' माना जाता है. हालांकि जमाकर्ता इसके बाद भी बैंक से अपनी राशि ब्याज के साथ पाने के हकदार हैं. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों द्वारा कई जागरूकता अभियान के बावजूद समय के साथ बिना दावा वाली राशि लगातार बढ़ती जा रही है.
इन पैसों का क्या होगा
बैंकों में जमा बिना दावे वाली ऐसी रकम को जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता (DIA) फंड में स्थानांतरित कर दिया है. कई बार ग्राहक नए बैंक में खाता खोल देते हैं और पुराने खातों में कोई लेनदेन नहीं किया जाता हैं. मृत जमाकर्ताओं के खातों के मामले भी हैं, जहां नामित/कानूनी उत्तराधिकारी संबंधित बैंक के पास दावा करने के लिए आगे नहीं आते हैं.
बैंको की वेबसाइट पर होगी सूची
आपको बता दे कि ऐसे जमाकर्ताओं या मृत जमाकर्ताओं के नामितों/कानूनी उत्तराधिकारी को जमाराशियों की पहचान करने और उन पर दावा करने में मदद करने के लिए बैंक पहले से ही कुछ पहचान योग्य विवरणों के साथ दावा न की गई जमाराशियों की सूची अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराते हैं. जनता को ऐसी जमा राशियों का दावा करने के लिए संबंधित बैंक की पहचान करने और उससे संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.