cyber alert: इन्टरनेट पर आया है एक नया स्कैम , हो जाओ चोकन्ना नही तो कंगाल हो जाओगे ...
हाइलाइट्स
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टाइपोस्क्वेटिंग (Typosquatting) नाम का स्कैम तेजी से चल रहा है.
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इंटरनेट यूजर टाइपिंग में गलती करके दे देते हैं स्कैमर्स को दावत.
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गलत वेबसाइट खुलते ही लैपटॉप या फोन में आ सकता है मैलवेयर.
Cyber Alert : क्या आपने कभी Micorsoft.com नामक वेबसाइट खोलकर देखी है? या फिर Goolge.com या Patym.com पर तो हर दिन जाते होंगे. अच्छा, Youbute.com पर तो विजिट किया ही होगा? क्या कहा, इन सब साइट्स के बारे में आप जानते हैं और ज्यादातर का इस्तेमाल करते हैं? जी नहीं, आप गलतफहमी में हैं. इनमें से एक भी वेबसाइट पर आपने जिंदगी में कभी भी विजिट नहीं किया होगा. यकीन नहीं आता तो एक बार साइट्स के नाम को फिर से पढ़ें. माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, पेटीएम या यूट्यूब… ऊपर लिखे गए सभी नामों की स्पेलिंग पर ध्यान दें. सभी स्पेलिंग गलत हैं. बस, हम यहीं पर गलती कर बैठते हैं और स्कैमर अपना खेल कर जाते हैं. हमें तगड़ी चपत लग जाती हैं और फिर हम कुछ कर भी नहीं पाते.
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इस तरह के स्कैम आजकल बहुत पॉपुलर हो रहे हैं. इसे टाइपोस्क्वेटिंग (Typosquatting) नाम दिया गया है. हर दिन नए-नए फ्रॉड्स के बीच एक ये फ्रॉड भी काफी तेजी से लोगों को कंगाल कर रहा है. अभी तक आप समझ चुके होंगे कि ये क्या है. फिर भी इस पर थोड़ी रोशनी और डालते हैं. बता दें कि ऊपर दी गई साइट्स का नाम केवल उदाहरण के लिए लिया गया है. हालांकि Goolge टाइप करने पर भी Google का ही पेज खुलता है.
दिमाग को धोखा देकर होता है काम
दरअसल, इंसान का दिमाग स्पेलिंग पढ़ने के लिए पहला और आखिरी शब्द उठाता है. और जो स्पेलिंग्स पहले देख और पढ़ चुके होते हैं, उन्हें उठाकर हमें जानकारी देता है. उदाहरण के लिए हम सब Microsoft पढ़ चुके हैं. हमारे दिमाग में छपा हुआ है. अगर कोई इसकी स्पेलिंग को आगे पीछे करके (पहला और अंतिम शब्द न बदलते हुए) हमारे सामने रख दे तो हमारा दिमाग सबसे पहले हमें बताएगा कि ये माइक्रोसॉफ्ट है. दिमाग Micorsoft (मिकोरसॉफ्ट) को भी Microsoft (माइक्रोसॉफ्ट) पढ़ लेगा. इस तरह अन्य शब्दों के चित्र भी हमारे दिमाग में छपे रहते हैं.
इसी लॉजिक का फायदे उठाते हुए स्कैमर या छलबाज थोड़ा-सा फेरबदल करके अलग डोमेन बना लेते हैं, जैसे कि Micorsoft.com. वेबसाइट देखने में बिलकुल असली जैसी लगेगी, डोमेन भी लगभग वैसा ही होगा, मगर हकीकत कुछ और होगी. इस डोमेन नेम के पीछे स्कैमर छिपे रहते हैं. यदि कोई यूजर एड्रेस बार में साइट का URL डालते समय कोई टाइपो (टाइपिंग से गलती) कर दे, तो सीधा स्कैमर्स के बिछाए जाल पर लैंड होगा.
कैसे यूजर को लग सकती है चपत
यह नकली (Typosquatting) वेबसाइट दिखेगी बिलकुल असली की तरह. यहां जैसे ही यूजर अपना यूजरनेम और पासवर्ड या फिर दूसरी सेन्सटिव सूचना डालेगा, वैसे ही उसकी डिटेल चुरा ली जाएगी. यही नहीं, वह वेबसाइट चुपके से आपके लैपटॉप या फोन पर एक मैलवेयर भी इंस्टॉल कर सकती है. हो सकता है वह मैलवेयर बाद में आप जो करें, उसकी सूचना जालसाजों तक पहुंचाता रहे. यदि आपने अपने लैपटॉप या फोन में यूजरनेम और पासवर्ड कहीं छिपाकर भी रखे हैं तो वे सीधे हैकर्स तक पहुंच जाएंगे और उसके बाद क्या होगा, वह तो सब जानते हैं.
तो खुद को बचाएं कैसे?
ये पूछा आपने सबसे अहम सवाल. क्या हम इससे बच सकते हैं? बच सकते हैं तो कैसे? कुछ टिप्स नीचे बताए गए हैं, जिन्हें फॉलो करके आप Typosquatting स्कैम का शिकार होने से बच सकते हैं.
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