धरती की सबसे सुनसान जगह 'निमों पॉइंट' हजारो किलोमीटर तक इन्सान का नामोनिशान नहीं, जानिए राज !
विज्ञान न्यूज़ |निमों पॉइंट: - धरती पर एक ऐसी जगह है, जहां हजारों किलोमीटर तक इंसान का नाम तक नहीं मिलता। इसे दुनिया की सबसे सुनसान जगह माना जाता है। इस स्थान से शुष्क भूमि लगभग 2,700 किमी दूर है।
वहीं, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन महज 400 किमी दूर है। सोचिए अगर आप ऐसी जगह रह गए जहां इंसानों की तो बात ही छोड़िए, यहां कोई जानवर या पौधे नहीं हैं तो आपका क्या होगा। ऐसी ही एक जगह है 'प्वाइंट निमो'।
धरती की सुनसान जगह:
इसे धरती की सबसे सुनसान जगह माना जाता है। इस जगह से हजारों किमी के दायरे में कोई इंसान नहीं मिलता है। इस जगह का इस्तेमाल केवल वैज्ञानिक ही करते हैं। प्वाइंट निमो की खोज वर्ष 1992 में कनाडा के एक इंजीनियर ह्रोवो लुकाटेला ने की थी। अंतरिक्ष में नष्ट हो चुके उपग्रहों को दफनाने के लिए अब वैज्ञानिक इस जगह का इस्तेमाल करते हैं।
अब तक इस जगह पर सैकड़ों सैटेलाइट्स का कचरा जमा हो चुका है. इस जगह पर सैकड़ों किमी के दायरे में सिर्फ सैटेलाइट्स का मलबा दबा हुआ है। यह जगह दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच प्रशांत महासागर में है। अभी तक इस जगह पर किसी भी देश ने अपना अधिकार नहीं जताया है।
सुनने को मिलती है रहस्यमयी आवाज़
1997 में, समुद्र विज्ञानियों ने प्वाइंट निमो से लगभग 2,000 किमी पूर्व में एक रहस्यमयी आवाज सुनी। ये आवाज ब्लू व्हेल से भी ज्यादा शोर कर रही थी. शोर किस बात का था किसी को समझ नहीं आ रहा था। इस आवाज को लेकर कई थ्योरी बनाई गईं। जहां कुछ लोगों का मानना था कि यह आवाज दूसरी दुनिया से आ रही है वहीं कुछ लोगों ने इसे किसी बड़े राक्षस की आवाज बताया।
हालांकि, द ओशन रेस वेबसाइट की एक रिपोर्ट में यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के हवाले से बताया गया कि इस इलाके में बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें टूटती रहती हैं। यह उनकी ही आवाज है। उस समय जो आवाज सुनाई दे रही थी, वह बर्फ की विशाल चट्टानों के आपस में टूटने की आवाज थी। बर्फ के टूटने पर जो आवृत्ति उत्पन्न होती है, वही यह ध्वनि बन जाती है।
यह निमो पॉइंट नाम से जाना जाता है
'निमो' लैटिन शब्द है। इसका अर्थ है 'कोई नहीं'। अब अगर किसी जगह को निमो पॉइंट कहा जाए तो इसका मतलब है कि वहां कोई नहीं है। इसे समुद्र का केंद्र भी माना जाता है। इसके निकटतम द्वीप लगभग 2,688 किमी की दूरी पर हैं। यहां सेटेलाइट के अलावा इनका फ्यूल भी गिराया जाता है। यह ढेर इतना ज्यादा है कि इसे धरती पर उपग्रहों का कब्रिस्तान कहा जा रहा है. जब उपग्रह का कार्य पूरा हो जाता है तो वह पृथ्वी की कक्षा की ओर खिंचने लगता है। इसे आबादी वाले इलाकों की जगह प्वाइंट निमो पर गिराया जाता है।
यहां पहली बार रूस का सैटेलाइट छोड़ा गया था। यह लगभग 140 टन था। एक दशक से ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद जब इसे गिराया गया तो इसका मलबा हजारों किमी दूर तक फैला हुआ था। तब से अब तक कई उपग्रहों का मलबा प्वाइंट निमो में गिराया जा चुका है। मलबा गिराने से पहले एक आधिकारिक चेतावनी भी दी जाती है ताकि हवाई यातायात न हो।