किसान आंदोलन चुनावी स्टंट था! योगेंद्र यादव बोले- हमने पिच बनाई पर विपक्ष ने अच्छी गेंदबाजी नहीं की
चुनाव विश्लेषक, किसान नेता व सामाजिक कार्यकर्ता रहे यादव ने कहा कि उन्होंने और राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन के माध्यम से भाजपा को हराने के लिए एक अच्छा क्रिकेट मैदान बनाया था, लेकिन विपक्ष ने अच्छी गेंदबाजी नहीं की और वह इसका लाभ नहीं उठा सका।
योगेंद्र यादव के इस इंटरव्यू का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। अमर उजाला इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। यादव इसमें कह रहे हैं कि यूपी में बीजेपी को हराने के लिए किसान आंदोलन ने नींव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन विपक्षी दलों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया।
किसान नेता यादव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले एक रणनीति बनाई और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि वे आगामी चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा को सजा देंगे।
हम चुनाव के खिलाड़ी नहीं, हमारा काम रोलर चलाना था
चुनाव विश्लेषक यादव ने कहा, 'राकेश टिकैत और मैंने पूरे यूपी का दौरा किया। चुनाव के खिलाड़ी हम नहीं हैं। क्रिकेट की बात करें तो हमारा काम था रोलर चलाना। हमने रोलर चलाया। हमने रोलर इसलिए चलाया कि फास्ट बॉल को मदद मिले, लेकिन बॉलिंग करना हमारा काम नहीं था।'
यादव का कहना था उन्होंने किसान आंदोलन के जरिए भाजपा के खिलाफ जमीन तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इसके बाद भी यूपी में भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी ने अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई।
पंजाब की राजनीतिक स्थिति के बारे में योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान आंदोलन का मुख्य लक्ष्य राज्य के सभी स्थापित राजनीतिक दलों को पूरी तरह से बदनाम करना था। इसने एक प्रमुख के रूप उत्प्रेरक के रूप में काम किया। पंजाब के विधानसभा चुनाव में आप ने जीत हासिल की है।
कुछ दोस्त बिना पैड के मैदान में उतरे
योगेंद्र यादव ने कहा कि वह नहीं जानते कि इससे सबसे ज्यादा किसे फायदा हुआ, लेकिन हमारे कुछ दोस्त बिना पैड के मैदान में उतर गए। बल्लेबाजी करना या गेंदबाजी करना हमारा काम नहीं है। हमारा काम पिच को तैयार करना है।
हम पिच को थोड़ा टेढ़ा जरूर कर सकते हैं, जो हमने किया। हमने बंगाल में भी पिच तैयार किया था। योगेंद्र यादव ने स्वीकार किया कि किसानों का विरोध प्रदर्शन किसानों के अधिकारों की लड़ाई की बजाय राजनीतिक स्टंट था।
कबूलनामे से उठे कई सवाल
यादव के इस कबूलनामे से किसान आंदोलन के मकसद को लेकर देश में नए सिरे से बहस छिड़ सकती है। करीब सवा साल चले इस आंदोलन के चलते कथित तौर पर 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई थी। यदि यह स्टंट था तो इसके शिकार किसान क्यों बने? यह खेल कौन खेल रहा था और मोहरा किसान क्यों थे? और इसका लाभ किसे हुआ? ऐसे कई सवाल उठ सकते हैं।