logo

Nitish Kumar को क्यो मिली राजनीति मे "पलटू राम" की उपाधि, बड़े बड़े दिग्गज को देते है मात

Bihar Political Crisis News: बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन टूट चुका है। नीतीश कुमार एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में नजर आ रहे हैं। सत्ता पाने में माहिर नेताओं में शीर्ष पर खड़े नीतीश कुमार अब राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में हैं।
 
Nitish Kumar

Bihar Political Crisis Latest Update: बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन टूट चुका है। नीतीश कुमार एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में नजर आ रहे हैं। सत्ता पाने में माहिर नेताओं में शीर्ष पर खड़े नीतीश कुमार अब राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में हैं। इस क्रम में उन्होंने सभी को चौंकाते हुए राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया। राजद से गठजोड़ के बाद तेजस्वी को गृह विभाग और डिप्टी सीएम पद मिलना लगभग तय है। गौर करने वाली बात यह है कि नीतीश ऐसा पहली बार नहीं कर रहे। बीते 10 सालों में उन्होंने अपनी दल बदलने की कला से 7 बार चौंकाया है। सियासी पंडित नीतीश को 'पलटूराम' की उपाधि तक दे चुके हैं।

तेजस्वी हमेशा मारते रहे ताना

बिहार में बदलते सियासी समीकरण में यह याद रखना जरूरी है कि तेजस्वी यादव ने पिछले कार्यकाल में सत्ता गंवाने और विधानसभा चुनाव 2020 में हारने के बाद नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया था। 'पलटूराम' नीतीश कुमार पर उनकी बार-बार की गई चुटकी में से एक था।

कोई नहीं भेद पाया नीतीश का सियासी मॉडल

जदयू 2005 से बिहार पर शासन कर रही है और नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर राज करने वाले सबसे लंबे समय के मुख्यमंत्री बन गए हैं। अपने शासन के 15 से अधिक वर्षों में उन्होंने दो बार एनडीए खेमे से महागठबंधन और फिर एनडीए के साथ जाकर पाला बदल चुके हैं। दोनों बार जदयू संख्या के मामले में छोटी पार्टी रही, लेकिन यह शासन में ऊपरी हाथ लेने में सफल रही।

नीतीश ने राजद को किया ताना मारने का मौका

बिहार पर शासन करने के पिछले 9 वर्षों में नीतीश कुमार ने दो बार पाला बदला है, बेहद विपरीत सहयोगियों के साथ गठबंधन सरकारें बनाई हैं। उनके राजनीतिक कौशल और प्रबंधन ने गठबंधन को आसानी से जीवित रखा। इसने उनके प्रतिद्वंद्वियों को विशेष रूप से राजद नेताओं को 'पलटूराम' का ताना मारने के लिए प्रेरित किया।

पहले से थी गठजोड़ टूटने की आशंका

बिहार की राजनीति में आने वाले भूकंप को लेकर पिछले कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे थे। राजद, जदयू के लिए संवेदनाएं भेज रहा था और नीतीश ने आखिरकार पूर्व सहयोगी के साथ गठबंधन करके भाजपा को तलाक देने का फैसला किया। हालांकि, विश्लेषकों और राजनीतिक पंडितों को आश्चर्य नहीं है क्योंकि वे इस तरह के कदम का अनुमान लगाए बैठे थे। इसकी आशंका इसलिए भी थी, क्योंकि भाजपा और जदयू सरकार बनने के बाद से असहज और संकट में थे।

भाजपा को बिहार की सत्ता से किया बाहर

2014 के लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी के बीजेपी के पीएम चेहरा बनने के बाद, नीतीश कुमार ने बीजेपी को समर्थन देने से इंकार कर दिया। उन्होंने तब कहा था कि उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्ष वोट और धर्मनिरपेक्ष राज्य के लिए खड़ी होगी। 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले नीतीश ने महागठबंधन या महागठबंधन बनाने के लिए कट्टर प्रतिद्वंद्वी लालू यादव के नेतृत्व वाले राजद और कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के साथ हाथ मिलाया। इस गठबंधन ने 178 सीटें जीतीं, जिससे भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।

महागठबंधन से क्यों बाहर निकले नीतीश?

2017 में आईआरसीटीसी घोटाले में लालू के आवास पर सीबीआई के छापे के बाद जदयू और राजद के बीच संबंध खराब हो गए। जिसमें लालू के बेटे तेजस्वी यादव को भी भूमि हस्तांतरण से लाभ प्राप्त करने का आरोपी घोषित किया गया। जब नीतीश ने इस मुद्दे पर सफाई देने के लिए कह कर नैतिक उच्च आधार लेने की कोशिश की, तो राजद ने इसे पार्टी को शर्मिंदा करने के साधन के रूप में देखा। नीतीश ने महागठबंधन से बाहर निकलने का फैसला किया और एनडीए से हाथ मिला लिया। वह मुख्यमंत्री बने रहे जबकि भाजपा नेता सुशील मोदी उनके डिप्टी बने।

"Keyword"
"nitish kumar party"
"nitish kumar twitter"
"nitish kumar previous offices"
"nitish kumar age"
"nitish kumar news"
"nitish kumar wikipedia"

"bihar news'

'"bihar news in hindi"

"bihar political news"

click here to join our whatsapp group