Shani Amavasya 2022: 14 वर्षों बाद शनि अमावस्या पर बन रहा शुभ संयोग,जानें महत्व और पुजा विधि
Haryana Update: Shani Amavasya: आज भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि है और इस अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या के रूप में मनाया जा रहा है। जब अमावस्या की तिथि शनिवार के दिन आती है तो इसे शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अमावस्या तिथि पर गंगास्नान, दान , पूजा-पाठ और पितरों का तर्पण आदि किया जाता है। शनि अमावस्या पर भगवान शनिदेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
इस बार शनि अमावस्या पर 14 वर्षों बाद बहुत ही दुर्लभ संयोग बन है। अमावस्या तिथि पर कुछ उपाय करने से शनिदोष से परेशान व्यक्ति को लाभ मिलता है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि पितरों का समर्पित होती है। इस दिन स्नान और पितरों का तर्पण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती क्योंकि अमावस्या तिथि पर पितरों की पूजा करने पर वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। आइए जानते हैं शनि अमावस्या तिथि का महत्व और पूजा के लाभ।।।
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अमावस्या पर बना ऐसा संयोग-such a coincidence made on the new moon
इस बार शनि अमावस्या पर बहुत ही अच्छा और दुर्लभ संयोग बना हुआ है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शनिदेव का आशीर्वाद पाने और कुंडली से शनि संबंधी तमाम दोषों को दूर करने के लिए शनि अमावस्या तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। 27 अगस्त को शनि अमावस्या पर दुर्लभ योग बना हुआ है। 27 अगस्त को शिवयोग और सिद्ध योग बन रहा है। इन दो योग के अलावा इस दिन पद्मा योग भी बन रहा है। ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार भाद्रपद माह में शनि अमावस्या का आना बहुत ही दुर्लभ संयोग होता है। 14 वर्षो के बाद भाद्रपद माह में शनि अमावस्या पड़ रही है। वहीं अगर शनि अमावस्या पर ग्रहों के संयोग की बात करें तो इस तिथि पर चार ग्रह अपनी ही राशि में हैं। सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि मे, गुरु स्वराशि मीन में और शनि मकर राशि में मौजूद हैं।
शनि अमावस्या पूजा विधि-Shani Amavasya Puja Method
अमवास्या तिथि पर सुबह जल्दी से उठकर स्नान कर लें।
अगर आपके आस-पास को पवित्र नदी है तो इस दिन वहां जाकर स्नान अवश्य करें। अगर ये संभव नहीं है तो नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर स्नान कर लें।
इसके बाद घर के मंदिर में विधिवत रूप से पूजा,आरती और दीपक जलाएं।
पूजा के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
फिर घर के पास स्थित मंदिर जाकर शनिदेव के दर्शन करे और दीपक जलाकर उन्हें सरसों का तेल अप्रित करें।
शनि अमावस्या इन पांच राशि राशियों के लिए वरदान
शनि अमावस्या पर भगवान शनि देव की पूजा करने और पितरों के तर्पण से भगवान शनि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस शनि अमावस्या पर 5 राशि के लोगों के लिए बहुत ही खास है। क्योंकि इन पर शनि की छाया है। धनु, मकर और कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या है। ऐसे में शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा करने पर इन राशि के लोगों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा।
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ऐसे करें अमावस्या पर शनिदेव को प्रसन्न-How to please Shani Dev on Amavasya
शनिदेव के दिव्य मंत्र 'ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:' का इस दिन जप करने से शनिदोष से मुक्ति मिलती है।
शनिदेव के आराध्य भगवान शिव हैं। शनि दोष की शांति के इस दिन शनिदेव की पूजा के साथ-साथ शिवजी पर काले तिल मिले हुए जल से 'ॐ नमः शिवाय' का उच्चारण करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
शनिदेव की प्रसन्नता के लिए जातक को शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए एवं गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए,ऐसा करने से जीवन में आए संकट दूर होने लगते हैं।
शनिदेव, हनुमानजी की पूजा करने वालों से सदैव प्रसन्न रहते हैं,इसलिए इनकी कृपा पाने के लिए शनि पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए।
शनि अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर जल, तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों दूर होते हैं। जिन जातकों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या है उन्हें पीपल के पेड़ की पूजा और उसकी परिक्रमा करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।