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बुधवार की व्रत कथा- ये काम नहीं करना चाहिए

आइए जानते है बुधवार की कथा, बुधवार के दिन क्या नहीं करना चाहिए...
 
Budhvar ki katha
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बुधवार की कहानी

बुधवार के दिन एक साहूकार का लड़का अपनी बहू को लेने जा रहा था। माँ ने बहुत मना किया वह नहीं माना और ससुराल में गया तो सास से कहने लगा कि मैं तो आज ही ले कर जाऊंगा। सास बोली आज बुधवार है और आज नहीं भेजती। वह नहीं माना। बुधवार को विदा कराकर ले आया। रास्ते में बहू को प्यास लगी और बोली मैं तो पानी पी लूंगी। वह पानी लेने चला गया। जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के निकट आया तो वह देखकर आश्चर्य से हैरान रह गया उसकी पत्नी के पास वैसी ही सूरत वेशभूषा में एक व्यक्ति बैठा है ।दूसरा व्यक्ति बोला -यह मेरी पत्नी है। उसने कहा अभी ससुराल से विदा कराकर लाया हूं। वह आपस में झगड़ने लगे। तभी राज्य का सिपाही पानी लेने गया था। उसको पकड़ कर ले गया। पत्नी से पूछा तुम्हारा असली पति कौन सा है। पत्नी शांत रही कि दोनों एक जैसे थे। वह किसे अपने पति कहे। वह भगवान से प्रार्थना करता हुआ बोला सच्चा झूठा बन रहा है।

शनिवार व्रत की कथा - इसको पढ़ने, सुनने से दूर होते है शनि के दोष, होती है लक्ष्मी की प्राप्ति, शनि चालीसा एवं आरती सहित।

आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे विदा करके नहीं आना था। तूने किसी की बात नहीं मानी। यह सब लीला बुधदेव भगवान की है। उस व्यक्ति ने बुध से प्रार्थना की अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। अंतर्ध्यान हो गए। वह पत्नी को लेकर घर आया और पति-पत्नी बुध का व्रत करने लगे। बुध को विदा नहीं कराना चाहिए। जो व्यक्ति इस कथा को पढ़ता है, सुनता है, उसको बुधवार का दोष नहीं लगता और यात्रा करने से कोई परेशानी नहीं होती। उसको सब प्रकार से सुखों की प्राप्ति होती है।

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आरती युगल किशोर की कीजै। तन मन न्योछावर कीजै। टेक ।

Budhvaar ki kahani

गौर श्याम मुख निरखन लीजै। हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै। जय नंद नंदन वृषभान किशोरी। परमानंद स्वामी अविचल जोरी।

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