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Hartalika Vrat 2022: हरतालिका व्रत की कथा, सुहागिनें क्यों मनाती है इस व्रत को, जानें सम्पूर्ण विधि विधान

Hartalika Vrat 2022 Katha: भाद्रपद शुक्ल तृतीया को यह व्रत करते हैं। सुहागने इस व्रत में शंकर पार्वती (Shiv Parvati) की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करती है।
 
hartalika vrat ki katha

हरतालिका व्रत की कथा (Hartalika Vrat Katha)
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को यह व्रत करते हैं। सुहागने इस व्रत में शंकर पार्वती (Shiv Parvati) की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करती है। शंकर जी ने पार्वती से कहा कि एक बार तुमने हिमालय पर्वत पर जाकर गंगा किनारे मुझ को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या आरंभ की थी। उसी कठिन तपस्या के समय नारद जी हिमालय के पास गए और कहा कि विष्णु भगवान आपकी कन्या के साथ विवाह करना चाहते हैं। नारद की नकली बात तुम्हारे पिता ने मान ली। फिर नारद जी विष्णु के पास गए और कहा कि आपका विवाह हिमालय ने पार्वती के साथ करने का निश्चय किया है।

नारद जी के जाने के बाद पिता हिमालय ने कहा- भगवान विष्णु के साथ तुम्हारा विवाह निश्चित किया है। यह बात सुनकर पार्वती जी को दुख हुआ। सखी के द्वारा दुख का कारण पूछने पर तुमने कहा कि मैं वहां पर भगवान शंकर के साथ विवाह करने के लिए कठिन तपस्या कर रही हूं, हमारे पिताजी विष्णु के साथ विवाह करना चाहते हैं। सखी से कहा तुम मेरी सहायता करो और नहीं तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगी।
       

सखी ने कहा धीरज रखो! मैं तुम्हें ऐसे जंगल में ले चलूंगी। वहां तुम्हारे पिता को पता नहीं चलेगा। इस प्रकार सखी की प्रेरणा से घनी बन में गई। उधर तुम्हारे पिता हिमालय ने घर में इधर-उधर ढूंढा पर पार्वती नहीं मिली, बहुत दुखी हुए। क्योंकि नारद ने विष्णु के साथ तय कर दिया था। वचन भंग की चिंता ने उन्हें मूर्छित कर दिया। तब सभी पर्वत यह सब जानकर खोजने में लग गए। तुम सखी सहित सरिता किनारे एक गुफा में तपस्या करने लगी। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को उपवास रखकर बालू का शिवलिंग स्थापित करके पूजन और रात्रि जागरण किया। तुम्हारे कठिन तप व्रत के कारण मुझे तुम्हारे पूजन स्थान पर आना पड़ा। तुम्हारी इच्छा के अनुसार तुमको अर्धांगिनी रूप में स्वीकार करना पड़ा। तुरंत कैलाश पर्वत पर चला आया। सवेरे का बेला में जब तुम पूजन की सामग्री नदी में छोड़ रही थी, उसी समय हिमालय राज उस स्थान पर पहुंच गए। फिर तुम दोनों को देखकर पूछने लगे बेटी तुम यहां कैसे आ गई। तुमने विवाह वाली बात सुना दी। तुम दोनों को घर ले गए। फिर शास्त्र विधि से तुम्हारा विवाह शिव के साथ कर दिया। सखी द्वारा हरि जाने पर इसका यानी हरतालिका व्रत (Hartalika Vrat) का नाम पड़ गया। शंकर ने पार्वती से यह बताया कि जो स्त्री इस व्रत को परम श्रद्धा से करेगी, उसे तुम्हारे सामान ही अटल सुहाग मिलेगा। सब स्त्रियों को इस दिन शंकर पार्वती सहित बालू की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिए। सब का सुहाग अटल रहता है।


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