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गंगा को नहीं, भारत की इस नदीं को भोगना पड़ा था सबसे पहले श्राप

Shrapit Nadi Ki Kahani: हिन्दू धर्म में नदियों को मां समान बताया गया है। यही कारण है कि भारत में पवित्र नदियों की पूजा का विशेष महत्व और लाभ है। आइए जानते हैं नदियों के इतिहास के बारें में...
 
गंगा को नहीं, भारत की इस नदीं को भोगना पड़ा था सबसे पहले श्राप 

Shrapit Nadi Ki Kahani: हिन्दू धर्म में नदियों को मां समान बताया गया है। यही कारण है कि भारत में पवित्र नदियों की पूजा का विशेष महत्व और लाभ है। 

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यूं तो हिन्दू धर्म ग्रंथों में कई नदियों का उल्लेख मिलता है लेकिन मां यमुना और मां गंगा का स्थान सबसे ऊपर है। इन नदियों का इतिहास भी सबसे पुराना है।

हालांकि जब धरती पर यमुना और गंगा का आगमन नहीं हुआ था तब पहले भी एक नदी बहा करती थी जिसे भारत की पहली नदी भी माना जाता है।(Shrapit Nadi Ki Kahani)

ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस नदी, इससे जुड़े श्राप, इसकी कथा और हिन्दू धर्म में इसके महत्व के बारे में विस्तार से।


भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होने के बाद मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आईं थी लेकिन गंगा से पहले भी एक नदी के भारत में होने का साक्ष्य मिलता है। 

इस साक्ष्य के अनुसार, गंगा से पहले पृथ्वी पर सरस्वती नदी का बहाव था। सरस्वती नदी मां सरस्वती के कमल से निकली थीं और धरती पर उतर आई थीं। 

वेदों में सरस्वती नदी को मां सरस्वती (मां सरस्वती के मंत्र) का ही रूप और देवी स्वरूपा माना गया है। (Shrapit Nadi Ki Kahani)हालांकि बाद में सरस्वती नदी धीरे-धीरे लुप्त होती चली गईं। 

माना जाता है कि सरस्वती नदी के लुप्त होने के पीछे एक श्राप था। सरस्वती नदी को श्राप देने वाले और कोई नहीं बल्कि महर्षि दुर्वासा थे। 

दरअसल, महाभारत का युद्ध सरस्वती नदी के किनारे लड़ा गया था।(Shrapit Nadi Ki Kahani) इस भीषण युद्ध से निकला योद्धाओं का रक्त सरस्वती नदी में जा मिलता था। 

एक बार जब ऋषि दुर्वासा सरस्वती नदी के किनारे पूजा करने पहुंचे तब नदी में रक्त देख उन्हें क्रोध आ गया क्योंकि उनकी पूजा भंग हो चुकी थी।

तब उन्होंने सरस्वती नदी को लुप्त होने का श्राप दिया। (Shrapit Nadi Ki Kahani)पुराणों (कौन सा पुराण है सर्वश्रेष्ठ) में माना जाता है कि सरस्वती नदी आज भी बह रही है लेकिन धरा के नीचे।

पृथ्वी के नीचे सरस्वती नदी के बहने के साक्ष्य कई शोधों में पाए गए हैं।(Shrapit Nadi Ki Kahani) पुराणों में लिखा है कि सरस्वती नदी दोबारा तब दिखेगी जब कल्कि अवतार होगा।

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