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Ganeshotsav : कब से शुरू हो रहा गणेशोत्सव पर्व और कैसे होगी समाप्ति

Ganesh Chatruthi: गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाला गणेशोत्सव 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी को समाप्त होता है।
 
Ganeshotsav : कब से शुरू हो रहा गणेशोत्सव पर्व और कैसे होगी समाप्ति 

Haryana Update:Ganeshotsav:  श्री गणेश विसर्जन (Shri Ganesh Visarjan) भी अनंत चतुर्दशी के दिन ही होता है। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेशोत्सव का पहला दिन भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। जिसे गणेश चतुर्थी या गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है। विनायक श्री गणेश का दूसरा नाम है, इसलिए इस पर्व को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है।

गणेशोत्सव की धूम रहती है हर ओर-Ganeshotsav is celebrated everywhere
गणेशोत्सव का पर्व देश भर में हर्ष ओर उल्लास के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, गोवा, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस त्योहार की पूजा परिवारों और समूहों द्वारा घर पर और सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की कच्ची मिट्टी की मूर्तियों को स्थापित करके की जाती है। उत्तर भारत के कुछ राज्यों में, मंदिरों में भगवान गणेश की अस्थायी मूर्तियों को स्थापित करके यह त्योहार मनाया जाता है।

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अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022-Anant Chaturdashi 9 September 2022
गणेशोत्सव का अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी (अनंत चौदश) के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे भारतीय राज्यों में, इस त्योहार को गणेश विसर्जन के रूप में मनाया जाता है। गणेश उत्सव के 10वें दिन, भगवान गणेश की मूर्तियों को बड़े धूमधाम से समुद्र, नदी या झील जैसे पानी के एक बड़े स्रोत में विसर्जित किया जाता है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में लोग संकल्प के रूप में हाथों में 14 गांठ के धागे को धारण करते हैं। इस पवित्र धागे को अनंत कहा जाता है और इसलिए इस त्योहार को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है।

क्या है गणेशोत्सव का इतिहास-What is the history of Ganeshotsav

गणेशोत्सव का पर्व हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। श्री गणेश जी क अपूजन हर कार्य में सबसे पहले किए जाने का विधान रहा है। ऎसे में गणपति को प्रमुख देव के रुप में स्थान प्राप्त है। गणेश पूजन का स्वरूप हर रंग में देखने को मिलता है लेकिन जब हम इस दस दिनों के उत्सव की बत करते हैं तो इस पर्व का एक अलग इतिहास भी खास रहा है। ऐसा अनुमान है कि 1630-1680 के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में गणेश चतुर्थी उत्सव एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाता था। शिवाजी के समय में, यह गणेशोत्सव नियमित रूप से उनके साम्राज्य के कुलदेवता के रूप में मनाया जाने लगा। इसे लोकमान्य तिलक ने 1893 में पुनर्जीवित किया था।

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लालबाग के राजा दक्षिण मुंबई (south mumbai) में स्थित दुनिया के सबसे लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडलों में से एक है, जिसे मराठी में लालबागचा राजा कहा जाता है। लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना करीब 1934 में हुई बताई जाती है यह मुंबई के परेल इलाके के लालबाग (laal bagh) में स्थित है जिसकी पूजा आज भी काफी विशेष स्थान रखती है। इसी तरह से कई अन्य स्थान भी हैं जहां यह उत्सव अपने रंग और अपनी आभा के कारण सभी को प्रकाशित करता है।

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