Dispute on Chandigarh: जिस खरड़ तहसील में था चंडीगढ़, वह हरियाणा को देने की हुई थी सिफारिश
Haryana Update, चंडीगढ़. जैन के अनुसार, हरियाणा सरकार (Haryana Government) को केंद्र सरकार ने आदेश दिया था कि वह केवल पांच साल तक चंडीगढ़ में अपने कार्यालय व आवास रख सकती है। उसके बाद हरियाणा अपने सभी कार्यालय व आवास अपनी राजधानी में शिफ्ट करे। आज के समय मे इतनी राशि में चंडीगढ़ में एक इंडस्ट्रियल प्लाट भी नहीं खरीदा जा सकता।
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हरियाणा को 20 करोड़ में बनानी थी राजधानी
जब हरियाणा बना, उस समय हरियाणा, पंजाब व हिमाचल ने भी चंडीगढ़ समेत कुछ स्थानों पर अपना दावा किया था। विवाद (Dispute on Chandigarh) के अंत के लिए यह निर्णय लिया गया कि चंडीगढ़ का पंजाबी क्षेत्र, कैपिटल प्रोजेक्ट एरिया पंजाब को स्थानांतरित किया जाएगा, जबकि सुखना लेक के साथ लगते हिंदी क्षेत्र को हरियाणा को दे दिया जाएगा। लेकिन, तकनीकी कारणों व चंडीगढ़ के लोगों के हितों के लिए इस निर्णय को बदल दिया गया।
जानकारी के अनुसार, बाद में तय किया गया कि चंडीगढ़ एक प्लांड (नियोजित) सिटी है। उसे दो राज्यों में नहीं बांटा जा सकता। पंजाब को केवल कैपिटल प्रोजेक्ट एरिया, जिसमें सचिवालय व विधानसभा हैं, वही स्थानांतरित किया जाएगा। इसके अलावा चंडीगढ़ का कोई हिस्सा न तो हरियाणा को दिया जाएगा और न ही पंजाब को मिलेगा।
इसके साथ ही तय हुआ कि पंजाब के फाजिल्का का हिंदी भाषा एरिया व पंजाब-राजस्थान सीमा पर मुक्तसर तहसील का गांव कांड खेड़ा हरियाणा को दिया जाएगा। सभी तरह के दावों व उनके खिलाफ शिकायतों के निवारण के लिए एक आयोग बनाने का का भी निर्णय लिया गया था।
चंडीगढ़ दोनों राज्यों की सिर्फ राजधानी, हिस्सा नहीं
नौ जून 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिए फैसले से जुड़े क एक दस्तावेज व 29 जनवरी 1970 के एक अन्य आदेश के अनुसार चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है, लेकिन हरियाणा को केवल पहले पांच साल तक यहां कार्यालय रखने व आवास रखने की छूट दी गई थी।
इस दस्तावेज में यह भी साफ कर दिया गया था कि चंडीगढ़ भले ही हरियाणा व पंजाब की राजधानी रहे, लेकिन वह इन दोनों राज्यों का हिस्सा नहीं होगा, सिर्फ दोनों की राजधानी है। हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से कहा गया था कि 1966 से पहले चंडीगढ़ पंजाब का भाग था। लेकिन, 1966 में विभाजन के बाद से चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है।
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हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद का कारण बने सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ को लेकर बड़ा तथ्य सामने आया है। चंडीगढ़ पहले खरड़ तहसील का हिस्सा था। 1966 में पंजाब के विभाजन व हरियाणा बनते समय शाह आयोग (Shah Commission) ने पूरी खरड़ तहसील हरियाणा को देने की सिफारिश की थी। लेकिन, तत्कालीन केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया तथा खरड़ को पंजाब में मिला दिया।
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