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Haryana News: सिरसा के एक छोटे-से गाँव के बेटे ने रचा इतिहास, पैरा एशिया खेल में देश को दिया रजत पदक, दस साल पहले एक दुर्घटना में खो दिया था हाथ

Haryana News: चीन में हांगझू पैरा-एशियाई खेलों में 1500 मीटर दौड़ में देश को रजत पदक दिलाने वाले पैरा एथलीट प्रमोद बिजरानी का चौपाटी पहुंचने पर जोरदार स्वागत हुआ। खिलाड़ी को राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से गणमान्य लोगों ने सम्मानित किया। इस बीच, गांव नहराणा में गांव के बेटे विजय के घर पहुंचने के लिए ग्रामीणों और शुभचिंतकों का तांता लगा हुआ है।
 
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Haryana News: चीन में हांगझू पैरा-एशियाई खेलों में 1500 मीटर दौड़ में देश को रजत पदक दिलाने वाले पैरा एथलीट प्रमोद बिजरानी का चौपाटी पहुंचने पर जोरदार स्वागत हुआ। खिलाड़ी को राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से गणमान्य लोगों ने सम्मानित किया। इस बीच, गांव नहराणा में गांव के बेटे विजय के घर पहुंचने के लिए ग्रामीणों और शुभचिंतकों का तांता लगा हुआ है। प्रमोद बिजारनिया ने इस दौरान हिसार में रहकर पैरा-एशियाई खेलों की कड़ी तैयारी की। बाद में वह सफल हुआ।

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मैं बहुत खुश हूँ 

कोच राजेश कुमार ने बताया, "प्रमोद कुमार में बहुत जुनून था। मैं उनके साहस की प्रशंसा करता हूँ। आज मैं बहुत खुश हूँ।प्रमोद कुमार के पिता राममुल्ट बिजारनिया, माता भरत देवी, चाची सरोज, मौसी बिमला, बुदा गुड्डी, संतोष और इंद्रा उपस्थित थे। तहसीलदार अरविन्द यादव, डा. वेद बैनीवाल, दड़बा कलां की सरपंच संतोष बैनीवाल, नाथूसरी कलां की सरपंच रीता कासनिया, सरपंच संदीप गिगोरानी, सुभाष माखोसरानी, सरपंच प्रतिनिधि मांगेराम, सत्य प्रकाश, डा. इंद्र सिंह जागड़ा, दिनेश जागड़ा, विशिष्ट अतिथि सुनील ढूकरा, विकास कालेरा और विनोद माचरा उपस्थित थे। सर्दी

10 साल पहले  दुर्घटना में एक हाथ खो दिया

प्रमोद बिजारणिया (Pramod Bijarania) का हाथ दुर्घटना में कटने से उसका परिवार निराश हो गया। जैसा कि प्रमोद के चचेरे भाई विनोद ने बताया, वह 2010 में 10वीं कक्षा में था। उस समय, प्रमोद एक दिन घर में हरे चारे की कटाई में मदद कर रहा था। उस समय उसका हाथ चारा काटने वाली मशीन में था। इलाज के लिए परिजन उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टरों ने प्रमोद का हाथ काटकर उसे बचाया। माता-पिता निराश हो गए जब उनका बेटा विकलांग हो गया। प्रमोद ने हारी नहीं मानी। “चिंता मत करो, मैं अवश्य सफल होऊंगा,” प्रमोद ने अपने माता-पिता को सांत्वना दी। तब प्रमोद ने खुद को सफल बनाने का प्रयास शुरू किया।

तीन बार प्रमोद ने नेशनल गेम्स में गोल्ड जीता है

प्रमोद ने खेल को अपनी सफलता का रास्ता चुना। प्रमोद ने खेल खेलते हुए 12वीं और बीए की पढ़ाई पूरी की। प्रमोद ने गांव से पहले खेल की तैयारी के लिए सिरसा के बलिदानी भगत सिंह स्टेडियम में पसीना बहाया।

COVID-19 महामारी के बाद 2021 में बैंगलोर में पहली बार आयोजित होने वाली 19वीं राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्हें चुना गया था। प्रमोद ने 800 मीटर दौड़ में पहली बार स्वर्ण पदक जीता। जबकि 1500 मीटर में कांस्य पदक जीता। प्रमोद ने इसके बाद लगातार तीन राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया। चीन के हांगझू में होने वाले पैरा एशियन गेम्स में प्रमोद चुना गया था।

प्रमोद बिजारानी की ये उपलब्धियां हैं

19वीं राष्ट्रीय पैरा एथलीट चैम्पियनशिप बेंगलुरु में 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक, 1500 मीटर दौड़ में कांस्य पदक, 20वीं राष्ट्रीय पैरा एथलीट चैम्पियनशिप भुवनेश्वर में स्वर्ण पदक, 14वीं फ़ज़ा इंटरनेशनल चैम्पियनशिप दुबई में चौथे स्थान पर, 5वीं इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैम्पियनशिप बेंगलुरु में स्वर्ण पद
 

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