Loan Settlement : क्या आप भी करने जा रहे हैं लोन सेटलमेंट? तो एक बार पढ़ लें ये खबर
Haryana Update. Loan Repayment Tips: अगर आप लोन सेटलमेंट करना चाहते हैं तो जल्दबाजी में यह फैसला न लें बल्कि इसके हर पहलू पर अच्छे से विचार कर लें।
लोन सेटलमेंट के कुछ फायदे हो सकते हैं लेकिन इससे होने वाले नुकसान भी कम नहीं है। आज हम आपको लोन सेटलेमेंट के फायदे और नुकसान के बारे में बताएंगे।
क्या होता है लोन सेटलमेंट?
अगर कोई व्यक्ति 91 दिनों तक लगातार लोन की पेमेंट नहीं करता है तो बैंक ऐसे लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) की कैटेगरी में डाल देता है। इसके बाद डिफॉल्टर के अनुरोध करने पर बैंक OTS यानी वन टाइम सेंटलमेंट का प्रस्ताव दे सकता है।
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OTS में बकाया प्रिंसिपल अमाउंट लिया जाता है। इंटरेस्ट अमाउंट, पेनल्टी और अन्य चार्ज को या तो कम कर दिया जाता है या फिर पूरी तरह माफ कर दिया दाता है। कुछ मामले में प्रिंसपल अमाउंट में भी राहत मिल जाती है।
लोन सेटलमेंट के फायदे
लोन सेटलमेंट करने से रिकवरी एजेंसियों से छुटकारा मिल जाता है। उधारकर्ता अपने और बैंक के साथ सहमत शर्तों को मानकर ड्यू को क्लीयर कर सकता है।
लोन सेटलमेंट को न समझें लोन क्लोजर
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि लोन सेटलमेंट, लोन क्लोजर नहीं होता है। लोन क्लोकजर तब माना जाएगा है जब लोन लेने वाला सभी किस्तें चुका दें।
क्रेडिट स्कोर हो जाता है कम
लोन सेटलमेंट करने से उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है। यह 50 से 100 पॉइंट तक कम हो सकता है (कई बार इससे ज्यादा भी)। माना जाता है कि उधारकर्ता के पास लोन चुकाने के पैसे नहीं थे इसलिए उसने लोन सेटलमेंट का ऑप्शन चुना।
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लोन मिलने में होती है मुश्किल
लोन सेटलमेंट करने पर क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट स्टे्टस सेक्श न में इस बात का जिक्र आता है कि उधारकर्ता का लोन सेटल किया गया है। यह जिक्र सात सालों से अकाउंट स्टेआटस सेक्शगन में बना रह सकता है। इस दौरान लोन मिलना बहुत मुश्किल होता है।
इन विकल्पों पर कर सकते हैं विचार
लोन सेटलमेंट का ऑप्शन तभी चुनें जब आपके पास कोई दूसरा विकल्प न हो। आप परिवार या दोस्तों से पैसे उधार ले सकते हैं। ऋण देने वाली एजेंसी के साथ अपने कर्ज का पुनर्गठन करने, ब्याज दर को कम करने या पुनर्भुगतान अवधि बढ़ाने के लिए बातचीत करें। बकाया राशि को पूरा चुकाने के लिए कम ब्याज वाला पर्सनल लोन ले सकते हैं।