logo

Chanakya Niti : घरवाली और बाहरवाली के चक्कर में पड़ने वाला इंसान आखिर में हो जाता है बर्बाद, भूल से भी ना करें ये काम

महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक 'चाणक्य नीति' में जीवन में सफलता के कई तरीके बताए हैं। नीति शास्त्र के चौदहवें अध्याय के एक श्लोक में चाणक्य ने बताया कि कैसे लोग अपने जीवन को खुद ही बर्बाद करते हैं। आप इसके बारे में जानते हैं
 
Chanakya Niti : घरवाली और बाहरवाली के चक्कर में पड़ने वाला इंसान आखिर में हो जाता है बर्बाद, भूल से भी ना करें ये काम

महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक 'चाणक्य नीति' में जीवन में सफलता के कई तरीके बताए हैं। नीति शास्त्र के चौदहवें अध्याय के एक श्लोक में चाणक्य ने बताया कि कैसे लोग अपने जीवन को खुद ही बर्बाद करते हैं। आप इसके बारे में जानते हैं..।

आत्मद्वेषात् भवेन्मृत्यु, परद्वेषात् धनक्षय। 
राजमोह से भवेन्नाशो, ब्रह्ममोह से कुलक्षय:

जिस व्यक्ति को अपनी आत्मा से घृणा है, वह स्वयं को बर्बाद करता है। दूसरों से घृणा करने से धन बर्बाद होता है। राजा से घृणा करने से व्यक्ति खुद को बर्बाद करता है, और ब्राह्मणों से घृणा करने से कुल को बर्बाद करता है।

"आत्मद्वेषात्" के स्थान पर कभी-कभी "आप्तद्वेषात्" शब्द भी प्रयोग किया गया है। इसे पाठभेद कहा जाता है। "आप्त" शब्द का अर्थ है विद्वान, ऋषि, मुनि या सिद्ध व्यक्ति, और "आप्तस्तु यथार्थवक्ता"। सत्य बोलना आप्त है। आत्मा के निकट स्थित व्यक्ति आप्त है।

Chanakya Niti : सीधी लड़कियों का जान लें शादी से पहले का सच, वरना बाद में पड़ेगा रोना

यही कारण है कि इस शअलोक के दोनों रूप सही हैं। बिना किसी लाग-लपेट के निष्पक्ष बोलना आप्त है। आत्मा की आवाज और आप्तवाक्य एक हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य दोनों मित्र और शत्रु है। आप्त, यानी विद्वानों और सिद्ध लोगों से घृणा करने वाला, भी नष्ट हो जाता है।Live टीवी

click here to join our whatsapp group