Chanakya NIti : घरवाली को कभी ना बताएं ये बातें, वैवाहिक जीवन पर आ सकता है संकट
इस धरती पर कई प्रजातियां रहती हैं। यही कारण है कि व्यक्ति को उसे नुकसान नहीं पहुंचाने वाले व्यक्ति के साथ रहना चाहिए, लेकिन जीवन के सफर में उसे कुछ लोग मिल जाते हैं जो उसे परेशान करते हैं। अपनी चाणक्य नीति पुस्तक में एक श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया कि आठ प्रकार के लोगों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए और उन्हें अपनी पीड़ा बताना चाहिए। चाणक्य की इस नीति को जानें...।
राजा वेश्या यमो ह्यग्निस्तकरो बालयाचको॥
अष्टमो ग्रामकंटका पर दु:खं न जानन्ति।
चाणक्य ने इस श्लोक में कहा कि दुनिया में आठ प्रकार के लोग हैं जो किसी की परेशानी को नहीं समझते। चाणक्य ने कहा कि राजा, वेश्या, यमराज, चोर, बालक या याचक को किसी का दुख नहीं लगता। साथ ही, ग्रामीण लोगों को परेशान करने वाले लोग कभी किसी की पीड़ा नहीं समझते।
यही कारण है कि चाणक्य कहते हैं कि उनके सामने अपने दुःख को व्यक्त करने का कोई मतलब नहीं है। यानी, इन्हें सामना करते समय व्यक्ति को बुद्धिमान होना चाहिए। आचार्य ने कहा कि मनुष्य को इनसे हमेशा बचना ही समझदारी है।
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तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके॥
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्।
श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सांप का विष उसके दांत में होता है, मक्खी का विष उसके सिर में होता है, बिच्छू का विष उसकी पूंछ में होता है, अर्थात सभी विषैले प्राणियों के एक-एक अंग में विष होता है, लेकिन दुर्जन मनुष्य के सभी अंग विष से भरे होते हैं।
चाणक्य कहना चाहते हैं कि विषैले जीव विशेष अवसरों, जैसे शिकार या बचाव, में ही अपने विष का प्रयोग करते हैं, जबकि बुरा सदा विषदंश करता रहता है।Live टीवी