logo

Chanakya Niti : चरित्रहीन स्त्रियों का ये ज्ञान पड़ेगा भारी, कभी ना माने ये बातें

नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने मनुष्य की कई अवस्थाओं का वर्णन किया है। श्लोक में वह कहते हैं कि ज्ञान और भोजन भी विष के समान हो सकते हैं। कैसे,  इस श्लोक और इसके भावार्थ को जानते हैं..।
 
Chanakya Niti : चरित्रहीन स्त्रियों का ये ज्ञान पड़ेगा भारी, कभी ना माने ये बातें

अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्॥ 
दरिद्रस्य विषम्, गोष्ठी वृद्धस्य विषम्, तरुणस्य विषम्।।

आचार्य चाणक्य ने कहा कि शास्त्र अभ्यास के बिना विष के समान होता है। अजीर्ण में भोजन करना और दरिद्र में बैठना भी विष के समान हैं। चाणक्य ने इस श्लोक में कहा कि ज्ञानी व्यक्ति को हमेशा अपने ज्ञान का अभ्यास करना चाहिए।

उन्हें लगता है कि निरंतर अभ्यास न करने से शास्त्रीय ज्ञान भी हानिकारक हो सकता है, ठीक उसी तरह जैसे अच्छे से अच्छे खाना भी बदहजमी में खाया जाए तो लाभ की जगह हानि होती है।

चाणक्य कहते हैं कि बिना अभ्यास किए किसी को शास्त्रों का ज्ञाता बताना भविष्य में समाज में अपमानित कर सकता है।

Chanakya NIti : घरवाली को कभी ना बताएं ये बातें, वैवाहिक जीवन पर आ सकता है संकट

साथ ही चाणक्य कहते हैं कि दरिद्रता के लिए बैठकें या उत्सव आदि बेकार हैं। महान और धनी लोगों के पास स्वाभिमानी नहीं जाना चाहिए। क्योंकि गरीब लोगों को अपमानित किया जाता है क्योंकि वे नीच हैं

भूख न होने पर छप्पन भोग भी विष के समान होता है, क्योंकि भरे पेट में खाने से स्वास्थ्य खराब हो जाता है और मृत्यु तक हो सकता है।


 

click here to join our whatsapp group