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Chandrayaan-3: Last Minutes of Terror पर टिका चंद्रयान-3 का भविष्य, इसके बारे में यहा देखे पुरी जानकारी

Last Minutes of Terror: आप सभी को पता होगा की आखिरी का समय काफी अहम होता है. इसे ही वैज्ञानिक 'लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर' कहते हैं, ये ही चंद्रयान-3 का भविष्य तय करने वाला है. आप सभी को बता दे की चंद्रयान-2 भी इसी समय यानी लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर का शिकार हुआ था, और इतना ही इसके साथ जापानी प्राइवेट कंपनी का HAKUTO-R भी आखिरी समय पर असफल हो गया था. 

 
Chandrayaan-3: Last Minutes of Terror पर टिका चंद्रयान-3 का भविष्य, इसके बारे में यहा देखे पुरी जानकारी
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Haryana Update: चांद के दक्षिणी ध्रुव के सफर पर निकला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-3 अब तक हर चुनौतीपूर्ण मोड़ को सफलतापूर्वक पार करता रहा है.

इसरो ने शुक्रवार को बताया कि चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (Moon Lander Module) को चंद्रमा के करीब ले जाने वाली ‘डिबूस्टिंग’ प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है और इसकी स्थिति सामान्य है.

उम्मीद है कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 का मून लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा. हालांकि इसरो के मिशन मून के लिए आखिर के कुछ मिनट काफी अहम माने जा रहे हैं.

वैज्ञानिक इसे ‘चिंता के आखिरी क्षण’ (Last Minutes of Terror) की संज्ञा दे रहे हैं, जो चंद्रयान-3 का भविष्य तय करेगा. इसरो का पिछला मून मिशन यानी चंद्रयान-2 भी इसी लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर का शिकार हुआ था और जापानी प्राइवेट कंपनी का HAKUTO-R भी चांद की सतह पर जाकर अंतिम पलों में असफल हो गया.

तो आइए जानते हैं क्या है ये ‘Last Minutes of Terror’…

आखिरी क्षण के बारे में पुरी जानकारी?

हर स्पेस मिशन के अंतिम क्षणों को ‘लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर’ कहा जाता है, जब लैंडिंग रोवर उस ग्रह की सतह पर लैंड करता है. इसी समय चंद्रयान-3 का मून लैंडर लूनर ऑर्बिट से निकलकर चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा.

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इस दौरान लैंडर स्वायत्त रूप से यानी खुद से ही काम करता है और उसे ग्राउंड स्टेशन से कोई सीधा कमांड नहीं दिया जा सकता.

नेहरू तारामंडल की प्रोग्राम मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने बताया कि चंद्रयान-2 के समय भी हम कुछ क्षणों से चूक गए थे और सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाए थे. ऐसे मिशन में अंतिम पल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं.

अभी चंद्रयान-3 की चांद से दूरी करीब 100 किलोमीटर है और आज रात की डीबूस्टिंग के बाद हम करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर पहुंच जाएंगे.

धीरे-धीरे कम की जा रही है चंद्रयान की रफ्तार

प्रेरणा चंद्रा ने बताया, ‘अभी चंद्रयान 10 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है. डीबूस्टिंग के जरिये इसकी स्पीड कम की जाएगी और लैंडिंग के समय इस स्पीड को घटाकर 1.68 किमी प्रति सेकंड तक किया जाएगा और यही समय लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर कहा जाता है.

वह बताती हैं कि इस दौरान ISRO भी मून लैंडर को डायरेक्ट कमांड नहीं दे पाएगा. लैंडिंग होने के बाद रोवर अपने आप विक्रम लैंडर से बाहर निकलेगा और चांद की सतह पर जानकारी जुटाएगा. ऐसे में लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर ही पूरे मिशन के भविष्य को तय करता है.

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