Court Rules : Live-in-Relationship वालों की हो गई मौज, कोर्ट ने दिये नए अधिकार
क्या आप जानते हैं कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को क्या अधिकार होते हैं? खबर में पूरी जानकारी देखें।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर एक व्यक्ति और एक महिला लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह रहते हैं, तो शादी हो गई होगी और इस रिश्ते से पैदा होने वाले बच्चों को पैतृक संपत्ति पर हक मिलेगा। यह केरल हाईकोर्ट में था। इस मामले में, 2009 में केरल हाईकोर्ट ने बच्चे को पैतृक संपत्ति पर अधिकार देने से मना कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि लिव-इन-रिलेशन से पैदा हुए बच्चों को भी पैतृक संपत्ति पर हक देने से रोका नहीं जा सकता। अब आप जानते हैं कि लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिला पार्टनर और उनके बच्चों को क्या अधिकार मिलते हैं।
विवाहित रिलेशनशिप में रहने वाली महिला साथी और उनके बच्चों को क्या अधिकार मिलते हैं?
भारतीय न्यायपालिका ने प्रेम-संबंधों और इन संबंधों से उत्पन्न बच्चों को सुरक्षित रखा है। इसके साथ ही महिला साथी के अधिकार भी सुरक्षित हैं।अदालतों में कई मामलों में लिव-इन-रिलेशन में रहने वाली महिला को संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए सुरक्षा दी गई है।
क्या लिव को इन संबंधों में भोजन करने का अधिकार है?
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CRPC की धारा-125 के तहत भरण-पोषण की अनुमति दी जाती है। इस धारा भी लिव-इन रिलेशनशिप में पोषण का अधिकार देती है। पॉलिमेनी मुआवजा एक अविवाहित जोड़े से अलग होने के बाद दिया जाता है। इस धारा भी पॉलिमेनी का अधिकार देती है।
विवाहित महिलाओं पर CRPC की धारा-125 लागू होती है?
चानमुभिया v. वीरेंद्र कुशवाहा केस में सुप्रीम कोर्ट ने CRPC की धारा 125 के तहत लिव-इन-रिलेशनशिप में महिाल का पालन-पोषण करने का अधिकार दिया है। एक महिला को लिव इन रिलेशनशिप में इस अधिकार के लिए तर्क देना चाहिए कि एक पुरुष उस विवाह की जिम्मेदारियों का लाभ नहीं उठाता है क्योंकि यह कानून के खिलाफ है।
विवाहित रिश्ते में संपत्ति विरासत करने पर महिलाओं को क्या अधिकार मिलते हैं?
धन्नूलाल वर्सेज गणेशराम केस में, अदालत ने अपने लिव-इन पार्टनर की मृत्यु के बाद उसके साथ रह रही महिला साथी की संपत्ति के अधिकार की पुष्टि की है। इस मामले में परिवार ने कहा कि पिछले दो दशक से उसके दादा उस महिला के साथ रह रहे थे। उसकी दादी ने उस महिला से शादी नहीं की थी, इसलिए वह उनके निधन के बाद संपत्ति की मालिक नहीं थीं। कोर्ट ने इसके विपरीत निर्णय दिया और कहा कि जब एक पुरुष और एक महिला पति और पत्नी के रूप में एक साथ रहते हैं, तो यह एक वैध विवाह है।
विवाहित संबंध से जन्मे बच्चों की कानूनी स्थिति क्या है?
बालसुब्रमण्यम वर्सेज सुरत्तयन में पहली बार लिव इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को वैधता का दर्जा मिला। सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि एविडेंस एक्ट की धारा 114 के तहत बहुत सालों तक एक साथ रहने वाले जोड़े को शादी माना जाएगा। उन्हें जन्म देने वाले बच्चों को भी वैध माना जाएगा और पैतृक संपत्ति में हिस्सा लेने का अधिकार मिलेगा।