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Delhi AQI News: जरूरी सूचना सांस लेना मुश्किल हुआ इन 9 जगहों में, हवा में शामिल सबसे ज्यादा जहर, जानिए पूरी डिटेल

Air Quality Index: आपको बता दें, की दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित शहरों में से सर्वश्रेष्ठ है, और इन नौ स्थानों में इन दिनों हवा में पहले से अधिक प्रदूषण हैं। आम लोगों के लिए साँस लेना भी मुश्किल हो गया है और स्थिति शायद और भी खराब हो जाएगी, जानिए पूरी डिटेल। 

 
Delhi AQI News

Haryana Update: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की शुक्रवार को दिल्ली के नौ क्षेत्रों में हवा बहुत खराब हो गई। इन क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से अधिक है। वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली का कहना है कि दिल्लीवासी अभी खराब हवा से बचने के आसार कम हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक शुक्रवार को 261 रहा। इस स्तर पर हवा खराब माना जाता है। गुरुवार को सूचकांक 256 था, जो 24 घंटे में पांच अंकों की बढ़ोतरी का संकेत है। यह चिंता की बात है कि शुक्रवार को दिल्ली के नौ इलाकों का सूचकांक 300 के पार रहा, यानी हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया है। अगले चार से पांच दिनों तक हवा उत्तरी पश्चिमी रहेगी, वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली का कहना है। हवा की रफ्तार दस किलोमीटर प्रति घंटे से कम नहीं होगी। तब तक हवा की गुणवत्ता खराब या बेहद खराब होगी और प्रदूषक कणों का विघटन धीमा होगा।

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दिल्ली में सुबह सामान्य से अधिक ठंड है। दिन भर धूप निकलने के दौरान तापमान सामान्य है। शुक्रवार को, मौसम विभाग की मानक वेधशाला सफदरजंग में सामान्य तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो इस समय सामान्य है। उस जगह का सबसे कम तापमान 15.2 डिग्री सेल्सियस था, जो सामान्य से दो डिग्री कम था।

धूल और प्रदूषण के कारण सोरायसिस
सोरायसिस, धूल और प्रदूषण से त्वचा प्रभावित होती है। इस बीमारी को नजरअंदाज करने से हृदयघात और स्ट्रोक हो सकते हैं। AIMS के डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं। जागरुकता की कमी से बहुत से लोग इस बीमारी का जल्दी इलाज नहीं करते हैं। डॉ. कौशल वर्मा, एम्स के स्किन डिजीज स्पेशलिस्ट डिपार्टमेंट के अध्यक्ष, ने बताया कि देश में एक से तीन प्रतिशत लोगों को यह बीमारी है। यह बीमारी शरीर का किसी भी हिस्सा प्रभावित कर सकती है। यह बीमारी अक्सर त्वचा से शुरू होती है, लेकिन बाद में सिर और जोड़ों तक पहुंचती है। इस बीमारी में शरीर की त्वचा पर लाल चकत्ते होते हैं। यह बीमारी कई मरीजों के पूरे शरीर में फैल जाती है और कई महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती है अगर समय पर इलाज नहीं लिया जाता है।

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