Mughal Empire: गोस्वामी तुलसीदास ने तोड़ा मुगल बादशाह अकबर का घमंड, जानिए कैसे
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अकबर ने महान शख्सियतों को अपने नवरत्नों में जगह दी थी. बताया जाता है कि एक बार मुगल बादशाह अकबर ने हिंदुओं की पवित्र पुस्तक रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के रचयिता संत गोस्वामी तुलसीदास (Tulsidas) को भी अपने नवरत्नों में शामिल होने के लिए कहा था.
लेकिन, इस बड़े ऑफर को गोस्वामी तुलसीदास ने ठुकरा दिया था. गोस्वामी तुलसीदास ने साफ कर दिया था कि वे भगवान श्रीराम के सिवा किसी और के सेवक नहीं बन सकते. उनके राजा श्रीराम ही हैं और कोई नहीं.
गोस्वामी तुलसीदास का अकबर को जवाब
मुगल बादशाह अकबर को एक चौपाई लिखकर गोस्वामी तुलसीदास ने जवाब दिया था. गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा, 'हम चाकर रघुवीर के पटौ लिखौ दरबार।
अब तुलसी का होहिंगे नर के मनसबदार।।' इस चौपाई में गोस्वामी तुलसीदास ने साफ कह दिया कि हम भगवान श्रीराम के सेवक हैं, किसी और की चाकरी नहीं कर सकते.
अकबर के नवरत्नों में कौन-कौन शामिल?
गौरतलब है कि अकबर के नवरत्नों की चर्चा दुनियाभर में होती है. अकबर के नवरत्नों में राजा मान सिंह थे, जिनके पास मुगल सेना की बागडोर थी. फकीर अजिओ-दिन भी नवरत्नों में शामिल थे जो अकबर को धार्मिक मसलों पर सलाह देते थे. नवरत्नों में सुरों के सम्राट तानसेन भी थे. वहीं, नवरत्नों में शामिल फैजी को शिक्षा-दीक्षा का काम सौंपा गया था.
राजा टोडरमल को दी अहम जिम्मेदारी
अकबर के नवरत्नों में मुल्ला दो प्याजा थे, जिन्हें अकबर की सल्तनत का गृहमंत्री भी कहा जाता है. चतुर बीरबल अकबर के मंत्री होने के साथ-साथ नवरत्नों में भी शामिल थे. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना को नवरत्नों में जगह मिली थी. इसके अलावा राजस्व की जिम्मेदारी संभालने वाले राजा टोडरमल भी नवरत्नों में से एक थे. अबुल फजल का नाम भी नवरत्नों की लिस्ट में शामिल था. इन्हें अकबर ने अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.