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RBI गवर्नर संजीव मल्होत्रा का बड़ा ऐलान, लोगों को दिया सस्ती ब्याज दर का तोहफा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) मीटिंग में रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। यह कटौती करीब 5 साल बाद हुई है, जिससे आम जनता की EMI कम होने की उम्मीद है।
 
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RBI Governor Sanjay Malhotra: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) मीटिंग में रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। यह कटौती करीब 5 साल बाद हुई है, जिससे आम जनता की EMI कम होने की उम्मीद है। इससे पहले मई 2020 में कोरोना काल के दौरान ब्याज दरों में आखिरी बार कटौती की गई थी। इस फैसले को आम लोगों और व्यापारियों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।

कौन हैं संजय मल्होत्रा?

संजय मल्होत्रा राजस्थान कैडर के 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्हें वित्त और प्रशासनिक मामलों का गहरा अनुभव है। वे मूल रूप से राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं और सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

शिक्षा और प्रशिक्षण
मल्होत्रा ने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी (अमेरिका) से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री हासिल की है।

प्रशासनिक अनुभव
अपने करियर के दौरान उन्होंने पावर, फाइनेंस, टैक्सेशन, आईटी और माइंस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम किया है। अक्टूबर 2022 में, उन्हें राजस्व विभाग (Revenue Department) में नियुक्त किया गया था। इससे पहले वे वित्तीय सेवा विभाग में सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा, वे सरकारी कंपनी REC लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी भी रह चुके हैं।

शक्तिकांत दास की जगह बने RBI गवर्नर

संजय मल्होत्रा ने 11 दिसंबर 2024 को आरबीआई के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने शक्तिकांत दास की जगह ली, जो 6 साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हुए।

शक्तिकांत दास को सरकार ने सेवा विस्तार नहीं दिया क्योंकि ब्याज दर कटौती के मुद्दे पर सरकार और उनके बीच मतभेद की खबरें थीं। इसके बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अधिकारियों में गिने जाने वाले संजय मल्होत्रा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।

आरबीआई गवर्नर के रूप में चुनौतियाँ

संजय मल्होत्रा का कार्यकाल तीन साल (2024-2027) के लिए होगा। उन्होंने जनता को राहत देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की है, लेकिन उनके सामने कई बड़ी चुनौतियाँ भी हैं।

वर्तमान में रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर है, जीडीपी ग्रोथ धीमी पड़ रही है, और महंगाई पर काबू पाने का दबाव भी बना हुआ है। इन सबके बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि संजय मल्होत्रा अपनी नीतियों से भारतीय अर्थव्यवस्था को किस दिशा में ले जाते हैं।

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