RBI Rules : बैंक से कर्जा लेकर ना लौटाने वालों पर होगी ये कारवाई

Haryana Update : RBI ने हाल ही में एक बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए ऐसे लोगों और Companies के खिलाफ कड़ा Ruless लागू किया है, जो जानबूझकर अपने Karz का भुगतान नहीं करते। नए नियमों के तहत, यदि किसी खाते को एनपीए घोषित किया जाता है, तो उस खाते पर छह महीने के भीतर “विलफुल डिफॉल्टर” (जानबूझकर Karz न चुकाने वाला) का Tag लगाया जाएगा। यह Ruless उन कर्जदारों पर नकेल कसने के उद्देश्य से है, जो जानबूझकर अपने ऋण की अदायगी से बचते रहे हैं।
क्या है “विलफुल डिफॉल्टर” टैग?
विलफुल डिफॉल्टर का Tag उन कर्जदारों पर लगाया जाता है जो अपनी भुगतान क्षमता के बावजूद जानबूझकर Karz नहीं चुकाते, या उन लोगों पर जो Karz की राशि का गलत Use करते हैं। यह Tag लगने के बाद, व्यक्ति या Company के लिए वित्तीय संस्थानों से आगे कोई New Loan लेना लगभग असंभव हो जाता है। साथ ही, उन्हें लोन रीस्ट्रक्चरिंग जैसी सुविधाएं भी नहीं दी जाती हैं, जिससे उनकी वित्तीय गतिविधियों पर भारी असर पड़ता है।
New Rules के तहत कर्जदारों के लिए कड़ी शर्तें
RBI के इस नए Ruless में 25 Lakh रुपये से ज्यादा का Karz लेने वाले कर्जदारों को विशेष रूप से लक्षित किया गया है। इसके साथ ही, Banks और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे कर्जदारों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दें। इसके लिए एक समीक्षा समिति बनाई जाएगी, जो इस प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से देखेगी।
Karzdaar को 15 Days का समय दिया जाएगा, ताकि वह लिखित रूप में अपना पक्ष रख सके और यह स्पष्ट कर सके कि Karz चुकाने में विफलता जानबूझकर नहीं थी। यदि समीक्षा समिति Karzdaar के दावे को अस्वीकार करती है, तो उसे विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया जाएगा।
विलफुल डिफॉल्टर Tag के गंभीर परिणाम
RBI का यह कदम Karz चुकाने में आनाकानी करने वालों के लिए बेहद सख्त साबित होगा। विलफुल डिफॉल्टर Tag लगने के बाद, इन कर्जदारों को कई गंभीर वित्तीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा:
New Loan नहीं मिलेगा: जिन व्यक्तियों या Companies पर यह Tag लगेगा, उन्हें किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से नया Karz नहीं मिलेगा। यह प्रतिबंध न केवल उनके व्यक्तिगत या व्यवसायिक लेन-देन पर असर डालेगा, बल्कि उनकी पूरी यूनिट भी Karz लेने से वंचित हो जाएगी।
लोन रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा खत्म: जिन कर्जदारों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया जाता है, वे अपने लोन को दोबारा रीस्ट्रक्चर (पुनर्गठित) नहीं करा सकेंगे। इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति या कंपनी अपने Karz की अदायगी को लेकर कठिनाई में है, तो भी उन्हें इस कठिन परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए किसी प्रकार की राहत नहीं मिलेगी।
एनबीएफसी पर भी लागू होंगे नियम: यह सख्त Ruless केवल Banks पर ही नहीं, बल्कि गैर-बैंकिंग वित्तीय Companies पर भी लागू होंगे। इसका मतलब है कि Karzdaar को न केवल Banks से बल्कि एनबीएफसी से भी भविष्य में Karz मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
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क्यों लागू किया गया यह नियम?
RBI का यह कदम भारतीय वित्तीय प्रणाली को और अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। भारत में Karz न चुकाने वाले मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिससे Banks को भारी नुकसान हो रहा है। खासतौर पर विलफुल डिफॉल्टर्स के मामलों में, जहां Karzdaar जानबूझकर Karz चुकाने से बचते हैं, Banks की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) की संख्या में बढ़ोतरी होती है।
इस समस्या से निपटने के लिए, RBI ने यह सख्त Ruless लागू किया है, जिससे विलफुल डिफॉल्टर्स पर नियंत्रण किया जा सके। यह कदम न केवल Banks को अपने Karz की वापसी सुनिश्चित करने में मदद करेगा, बल्कि वित्तीय प्रणाली में अनुशासन भी स्थापित करेगा।
कर्जदारों को दिए गए अधिकार
हालांकि, RBI ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी रखने के लिए कर्जदारों को भी अपनी बात रखने का मौका दिया है। प्रत्येक Karzdaar को 15 Days का समय मिलेगा, ताकि वह यह साबित कर सके कि Karz की अदायगी में विफलता जानबूझकर नहीं थी। समीक्षा समिति उनकी दलीलें सुनेगी और उसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
RBI के इस नए Ruless से भारत की वित्तीय प्रणाली में अधिक अनुशासन और पारदर्शिता आएगी। जानबूझकर Karz न चुकाने वाले कर्जदारों के लिए यह Ruless सख्त चुनौती साबित होगा, जिससे उन्हें अपने वित्तीय उत्तरदायित्वों को गंभीरता से लेने की प्रेरणा मिलेगी। Banks और वित्तीय संस्थानों को इस नए Ruless से अपने NPA मामलों को सुलझाने में मदद मिलेगी और Karz देने की प्रक्रिया भी सुरक्षित बनेगी।