Vermicompost : केंचुआ खाद का खेत में कैसे, किन फसलों व किस मात्रा में करना चाहिए इस्तेमाल?
How to use vermicompost, Know its use, quantity and time in crops?
Agriculture News: Vermicompost Use in Crops: वर्मी कम्पोस्ट (Vermicompost) एक प्रकार का जैविक खाद है जो केंचुओं द्वारा तैयार होता है , इसलिए इसे केंचुआ खाद कहते हैं.
Haryana Update. वर्मी कम्पोस्ट के अन्दर वे सभी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो पौधो के लिए अति आवश्यक होते हैं. केंचुए कार्बनिक पदार्थों ( Organic Matters) में तेजी से अपघटन ( Decomposition) को बढ़ावा देते हैं. ख़ास बात यह है कि इस कम्पोस्ट के प्रयोग से पौधो में रोग एवं कीट का प्रकोप भी कम होता है.
केंचुआ खाद की प्रयोग मात्रा एवं प्रयोग विधि (Use of earthworm manure and method of application)
1. धान-गेहूं (Paddy & Wheat Crop) में 20 क्विंटल प्रति एकड़ , अंतिम जुताई के समय
2. सब्जियों (Vegetable Crops) में 40-50 क्विंटल प्रति एकड़ , बुवाई से पूर्व एवं मिट्टी चढ़ाते समय
3. दलहनी फसलों (Pulse Crops) में 15-20 कुन्तल प्रति एकड़ , बुवाई से पूर्व
4. तिलहनी फसलों (Oilseed Crops) में 30-35 कुन्तल प्रति एकड़ , बुवाई से पूर्व
5. आलू (Potato Crop) में 50 कुन्तल प्रति एकड़ , मिट्टी चढ़ाते समय
6. फलदार वृक्षों (Fruit Crops) में 1-10 किलोग्राम , प्रति पौधा
7. फल लगे गमलों में 100-200 ग्राम प्रति पौधा , उम्र के अनुसार
8. घास के लॉन में 30 किलोग्राम प्रति 10 वर्ग फीट , साल में दो बार
अगर आप गांव में रहकर किसी ऐसे बिजेनस (Business) की तलाश कर रहे हैं जिसमें लाखों की कमाई के साथ बेहद कम निवेश हो तो केंचुआ खाद का बिजनेस (Vermicompost Business).
फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए उपाय (How to increase the yield of crops)
केंचुआ खाद (Kenchua Khad) सब्जी , फल और फूल जैसे विभिन्न फसलों की वृद्धि और उपज में सुधार करने में अहम भूमिका निभाता है. बता दें कि फसलों में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने के बाद , यह पाया गया है कि अंकुरण प्रतिशत ( Germination Percentage) के साथ-साथ उपज की गुणवत्ता भी बहुत अधिक हो जाती है.
मिट्टी की गुणवत्ता को कैसे सुधारें (How to improve soil quality)
वर्मीकम्पोस्ट , पौधों को पोषक तत्वों की आपूर्ति और वृद्धि बढ़ाने वाले हार्मोन के अलावा , मिट्टी की संरचना में सुधार करता है जिससे मिट्टी की पानी और पोषक तत्व धारण क्षमता में वृद्धि होती है.