Flower Farming: इस फूल की खेती कर कमाएं तीन गुना ज्यादा मुनाफा
Haryana Update: अपराजिता भी कुछ इसी तरह की फसल है, इसे तितली मटर भी कहते हैं. इसकी गिनती दलहनी और चारे वाली फसलों में भी होती है.
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इसके-मटर और फलियां जहां भोजन बनाने में काम आती हैं. वहीं, इसके फूलों से ब्लू टी यानी नीली चाय (blue tea blue tea) बनाई जाती है. इस नीली चाय को diabetes जैसी बीमारियों के खिलाफ फायदेमंद है. वहीं, इस पौधे के बाकी बचे भाग को आप पशु चारे के तौर पर उपयोग कर सकते हैं. यानी एक फसल तीन काम और तीन गुना ज्यादा मुनाफा.
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अपराजिता की फसल गर्मी से लेकर सूखे जैसी स्थितियों में भी बढ़िया तरीके से विकास करती हैं. मिट्टी और जलवायु का इसपर कोई खास असर नहीं पड़ता है. इसकी खेती से पहले बीजों का उपचार कर लेना चाहिये.according to experts, बुवाई 20 से 25 × 08 या 10 सेमी की दूरी एवं ढ़ाई से तीन सेमी की गहराई पर करनी चाहिए.
can achieve so much output
इसकी फलियों की तुड़ाई वक्त रहते कर लें, वरना इसकी फलियां जमीन पर गिरकर खराब हो जाती हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं तो आराम से 1 से 3 टन सूखा चारा और 100 से 150 किलो बीज per hectare का उत्पादन हासिल कर सकते हैं. वहीं, सिंचाई वाले इलाकों में इसके उत्पादन में 8 से 10 टन सूखा चारा और 500 से 600 किलो बीजों का उत्पादन लिया जा सकता है.
कई देशों में इसके फूलों और प्रोडक्ट की निर्यात भी किया जाता है. ऐसे में किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा हासिल कर सकता है. बता दें कि भारत के अलावा इसकी खेती अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों में बड़े पैमाने पर की जाती है.Apart from India, it is cultivated on a large scale in countries like America, Africa, Australia and China.
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