Framing: धान में आई बौनेपन की बीमारी, जानिए क्या कहते है वैज्ञानिक
Haryana Update: आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agricultural University) ने पंजाब के कई हिस्सों में धान के पौधों के बौनेपन के पीछे सदन राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) का एक वायरल रोग पाया है।
एसआरबीएसडीवी (SRBSDV) के कारण हुई इस बीमारी को पहली बार 2001 में दक्षिणी चीन (South China) से रिपोर्ट किया गया था, लेकिन यह पहली बार है जब इसे पंजाब में पाया गया है। लुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति सतबीर सिंह गोसल (Agriculture University Vice Chancellor Satbir Singh Gosal) ने कहा है कि धान के पौधे बौनेपन के पीछे असली कारण एसआरबीएसडीवी है।
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गौरतलब है कि पीएयू (PU) के वैज्ञानिकों को किसानों की ओर से धान के पौधे छोटे रहने की शिकायतें मिल रही थी। धान में बौनेपन के लक्षणों के होने की शुरुआती रिपोर्ट श्री फतेहगढ़ साहिब, पटियाला, होशियारपुर, लुधियाना, पठानकोट, एसएएस नगर और गुरदासपुर जिलों से प्राप्त हुई थी, जिसके एक महीने के बाद लगभग पूरे पंजाब और उसके आसपास के राज्यों में धान के पौधों में इस प्रकार के लक्षण देखे जा रहे हैं
इस बीमारी से संक्रमित पौधे अविकसित रह रहे हैं और इनकी ऊंचाई समान्य के मुकाबले एक तिहाई रह जाती है, पौधों की जड़ें और अंकुर दोनों बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं। कुछ गंभीर रूप से संक्रमित पौधे मुरझाते हुए भी दिखाई दिए हैं। इन पौधों की जड़ें गहराई तक नहीं जाती और इन्हें आसानी से उखाड़ा जा सकता है ।
रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी धान की किस्मों में यह रोग पाया जा रहा है। पीएयू के वैज्ञानिकों की टीम ने होशियारपुर, रोपड़, मोहाली, लुधियाना, श्री फतेहगढ़ साहिब और पटियाला जिलों के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया ताकि चावल में इन पौधों के रुकने के कारण को व्यवस्थित रूप से समझा जा सके। इन जिलों के 5-7 प्रतिशत खेतों में बौनेपन के लक्षण देखे गए हैं। प्रभावित क्षेत्रों से एकत्र किए गए मिट्टी और पौधों के नमूनों के विश्लेषण ने पोषण की कमी के साथ बौनेपन का कोई संबंध नहीं दिखाया।
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Significantly, the occurrence of SRBSDV is the first viral disease in Punjab. The virus is a double-stranded RNA virus that was first reported from southern China in 2001.
जहां तक इस बीमारी के इलाज की बात है पीएयू के वैज्ञानिकों ने कहा है कि हाल फिलहाल वायरल रोगों के लिए कोई सुधारात्मक उपाय नहीं है। किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि WBPH (White Backed Plant Hopper) की समस्या आने का समय होने वाला है इसलिए किसानों को WBPH की उपस्थिति के लिए धान के पौधों की नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए। इसके लिए खेत में कुछ पौधों को थोड़ा टेढ़ा करके 2-3 बार टैप करना चाहिए। यदि होपर बच्चे या वयस्क, आदि किसी भी अवस्था में मौजूद हैं, तो पानी पर तैरते हुए दिखाई दे जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो तुरंत कीटनाशक स्प्रे करना चाहिए।