Agriculture: किसान जरूर कर लें अपनी फसलों मे ये काम, मिलेगा लाभ ही लाभ

Agriculture news: मौसम विभाग किसानों की फसलों की सुरक्षा के मद्देनजर एग्रोमेट एडवाइजरी समय-समय पर जारी करता रहता है. उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) के किसानों के लिए लखनऊ मौसम विभाग (Lucknow Meteorological Department) द्वारा जारी एग्रोमेट एडवाइजरी(agroment advisory) के बारे में जानते हैं-
 

Kisan: लगातार बदलते मौसम की वजह से किसानों (kisan) की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में मौसम विभाग किसानों की फसलों की सुरक्षा के मद्देनजर एग्रोमेट एडवाइजरी (agro advisory) समय-समय पर जारी करता रहता है. इस एडवाइजरी (advisory) में किसानों के लिए फसलों की सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं इस बात की जानकारी दी जाती है. ऐसे में चलिए इस लेख में उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) के किसानों के लिए लखनऊ मौसम विभाग (Lucknow Meteorological Department) द्वारा जारी एग्रोमेट एडवाइजरी(agroment advisory) के बारे में जानते हैं-

Advisory for Farmers: 
 

इस समय खरीफ (kharif) फसल के लिए रोपाई का सही समय है. इसके लिए खेत में पानी की उचित व्यवस्था करें और रोपाई करें. धान की फसल में वर्षा न होने पर 6-7 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें. मक्के की फसल में बेहतर उपज के लिए फूल आने के समय पर्याप्त नमी बनाए रखें.
जायद की फसल

मूंग और उड़द की फसल 12-15 किग्रा/हेक्टेयर की दर से बोयें और बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें. सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अलाक्लोर 50 ईसी 4 लीटर/हेक्टेयर को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

सब्ज़ियाँ (vegetables)

हरे चारे के रूप में लोबिया, ज्वार, मक्का, बाजरा और ग्वार की बुवाई शुरू करें.

बरसात के मौसम में चौलाई की बुवाई इस महीने में 2-3 किलो/हेक्टेयर की दर से करें.

शिमला मिर्च, मिर्च और फूलगोभी की बुवाई करें.

फल (fruits)

आम, अमरूद, लीची, आंवला, कटहल, नींबू, बेर, केला और पपीते के नए बाग लगाने का समय आ गया है.एफिड्स से बचाव के लिए आंवला के बाग में मोनोक्रोटोफॉस 0.04% का छिड़काव करें.

चिकन फॉर्म (chicken farm)

पोल्ट्री को नमी और रिसने से बचाएं.
खरीफ फसल

मक्के की फसल में पहली शीर्ष ड्रेसिंग बुवाई के 30 से 35 दिन बाद और दूसरी शीर्ष ड्रेसिंग बुवाई के 40 से 45 दिन बाद करनी चाहिए. इसके साथ ही आसमान साफ होने पर 60 से 70 किग्रा / हेक्टेयर की दर से यूरिया की शीर्ष ड्रेसिंग करनी चाहिए. धान से खरपतवार हटा दें और ध्यान दें की ऊपर से ड्रेसिंग करते समय खेत में 2 से 3 सेमी से अधिक पानी नहीं होनी चाहिए.

जायद की फसल 

दलहन की फसल में जल निकासी का उचित प्रबंध किया जाना चाहिए.

सब्जियां

बैंगन, मिर्च, टमाटर, अगेती फूलगोभी, खरीफ प्याज, लोबिया, पालक, ऐमारैंथस और भिंडी की बुवाई के लिए खेत की तैयारी करें.

लोबिया, ज्वार, मक्का, बाजरा और ग्वार की बुवाई हरे चारे के रूप में शुरू करें.

फल

आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बागों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.

पशुपालक ध्यान दें

दुधारू पशु को संतुलित आहार के लिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे प्रति 2 लीटर दूध की उपज के लिए 1 किलो चारा + 50 ग्राम खनिज मिश्रण प्रदान करें. पशुओं को 50-60 ग्राम नमक पानी में मिलाकर पिलाना चाहिए.
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खरीफ फसल

खेत में पानी की उचित व्यवस्था करें और रोपाई करें. इसके साथ ही रोपित फसल की सिंचाई करें.

जायद की फसल

काला चना- खरीफ की फसल की बुवाई उचित नमी पर शुरू करनी चाहिए. मूंग, मटर, तिल की बुवाई करें. मूंगफली की बुवाई के बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए.

सब्जियां

बैंगन, मिर्च और अगेती फूलगोभी की रोपाई यथा शीघ्र कर लेनी चाहिए. नींबू में साइट्रस कैंकर रोग को नियंत्रित करने के लिए किसानों को 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से केपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. सब्जी नर्सरी में उचित जल निकासी बनाए रखी जानी चाहिए.

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फल

आम, अमरूद, लीची, नींबू, जामुन, बेर, केला और पपीता आदि के बागों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.

पशुधन

इस मौसम में पशुओं को सूखा रखना चाहिए, दुधारू पशुओं को संतुलित आहार देना चाहिए. पशुओं को छायांकित स्थान पर रखना चाहिए, टीकाकरण करना चाहिए.

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खरीफ की फसल

खेत में जलनिकासी की उचित व्यवस्था करें और इस दौरान रोपाई करनी चाहिए. रोपित फसल की सिंचाई करें. बेहतर फसल स्थापना और अधिक उपज के लिए समय पर खरपतवार प्रबंधन आवश्यक है.

जायद फसल

जायद की फसल की बुवाई के बाद उसकी अच्छी तरह से सिंचाई करें क्योंकि ये फसलें विकास की अवस्था में हैं. तिल के बीज की बुवाई यथाशीघ्र पूर्ण कर लें.
सब्ज़ियाँ

बाजरा बोने के लिए, प्याज के बीज वाली जगह से खरपतवार हटा दें.

फल

लीची, आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बगीचे को आवश्यकतानुसार रोपें और सिंचाई करें. केला लगाने के लिए मौसम अनुकूल है.

पशुपालक

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पशु चिकित्सक के परामर्श से पशुधन और मुर्गी के एंडो और एक्टो परजीवी को नियंत्रित करें. दुधारू पशुओं को सूखा चारा (50:50) के अनुपात में खिलाएं और प्रतिदिन 20-30 ग्राम खनिज मिश्रण और नमक दें