Farming Tips: हरियाणा के इस किसान ने कर दिखाया कमाल, लाखों में करता है कमाई

Farming Tips: हरियाणा के यमुनानगर जिले के बिलासपुर क्षेत्र के बस्तियांवाला गांव के किसान अनिल कुमार न केवल प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं.
 

Farming Tips: गांव में छह साल से तीन एकड़ जमीन पर गन्ना, गेहूं, दलहन और धान की फसल उगाई जा रही है. वह प्राकृतिक खेती से उगाए गए गन्ने को चीनी मिलों या क्रशर को नहीं बेचते, बल्कि उससे गुड़ और चीनी बनाकर चंडीगढ़, दिल्ली, यमुनानगर, अंबाला और अन्य जगहों पर सप्लाई करते हैं.

 


आलम यह है कि अगले सीजन के लिए तैयार गुड़, शक्कर की छह माह पहले ही एडवांस बुकिंग हो जाती है. दूर-दराज के लोग मोबाइल पर संपर्क करके ही अपने बजट के अनुसार गुड़ और शक्कर बनवाते हैं. ऐसे में अनिल कुमार से प्रभावित होकर अब उपमंडल बिलासपुर के आधा दर्जन से अधिक अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती कर रहे हैं.

 

अनिल कुमार-43 ने बताया कि उनकी ताई की वर्ष-2016 में कैंसर से मौत हो गई थी. तब लोग शोकसभा में बात कर रहे थे कि आजकल केमिकल से खाने की चीजें बन रही हैं. जहरीली खेती से बीमारियां बढ़ रही हैं इसलिए कम उम्र में ही लोग दुनिया छोड़ रहे हैं.


अनिल के मुताबिक ये बातें उनके दिलो-दिमाग में घर कर गईं. इसलिए उन्होंने तय किया कि कम से कम अपने परिवार के लिए खेतों में प्राकृतिक खेती करेंगे, ताकि बिना केमिकल के तैयार अनाज खाकर वे स्वस्थ रह सकें. इसके लिए वे जीरो बजट प्राकृतिक खेती के लिए मशहूर पद्म श्री सुभाष पालेकर के संपर्क में आए.


पंचकुला और महाराष्ट्र और उनके शिविरों में भाग लिया. उनकी किताबें पढ़ें. फिर 2017 में उन्होंने अपने खेतों में तीन एकड़ से प्राकृतिक खेती शुरू की. अनिल कुमार ने बताया कि यूरिया मिला कर उगाए गए गन्ने से अगर किसान को प्रति एकड़ 90 हजार रुपये की आमदनी होती है तो गोबर और गोमूत्र की खेती से उसे औसतन डेढ़ से ढाई लाख रुपये प्रति एकड़ की फसल मिल जाती है. 

खेत में कीटनाशक मिलाने से 400 क्विंटल तक गन्ना पैदा होता है, जबकि प्राकृतिक खेती से औसतन 250 क्विंटल गन्ना पैदा होता है. इसके बाद वह कोल्हू में किराया देकर गन्ने से गुड़ और शक्कर बनाता है.

दो देशी गायों को केवल खेती के लिए रखा

अनिल ने बताया कि गोबर से ही प्राकृतिक खेती की जा सकती है. इसके लिए उन्होंने दो देशी गाय पाल रखी है. गोबर, गोमूत्र और लस्सी का मिश्रण तैयार कर फसल में डाला जाता है. वह गन्ने के साथ मूंग या उड़द की दाल भी उगा सकते हैं. मिश्रित खेती करने से गन्ना बेहतर होता है. दूसरी ओर, प्राकृतिक खेती में बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है. इसमें केवल खेत में नमी रखनी होती है.

देसी गाय के गोबर, गोमूत्र से 20 से 30 एकड़ में खेती की जा सकती है. देसी गाय के गोबर के प्रयोग से केंचुए बढ़ते हैं जो भूमि को उपजाऊ बनाते हैं. प्राकृतिक खेती के लिए खेत का ऊंचा होना जरूरी है ताकि दूसरे खेतों का रसायन युक्त पानी उसमें प्रवेश न कर सके. अब वह अन्य खेतों को भी ऊंचा उठाकर प्राकृतिक खेती करेंगे.