Earth in Danger: धरती पर मंडरा रहा खतरा! 

Latest News: अतंरिक्ष असंख्य रहस्यों से भरा हुआ है. यहां हर दिन कोई न कोई घटना हर दिन होती रहती है. जिसने की बार पृथ्वी पर खतरा मंडराने लगता है. इसी तरह का एक खतरा एक बार फिर से पैदा हो गया है.
 

Haryana Update: पृथ्वी की ओर तेजी से आ रहा (giant comet) विशालकाय धूमकेतु इस दिन पहुंचेगा नजदीक जो पृथ्वी को नष्ट कर सकता है.  एक विशालकाय धूमकेतु धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा है. इस धूमकेतु की खोज साल 2017 में (Solar System) सौर मंडल के बाहर की गई थी. इसके बाद ही ये धूमकेतु लगातार सौर मंडल में आता जा रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये 14 जुलाई को हमारी धरती के बेहद नजदीक आ जाएगा.

 

 

 

 

इस धूमकेतु को कॉमेट सी/2017 के2 (पैनस्टार्स) (Comet C/2017 K2, PANSTARRS) नाम दिया गया है. आम भाषा में इसे K2 धूमकेतु कहा जाता है. बता दें कि साल 2017 में (Hubble Space Telescope)  हबल स्पेस टेलिस्कोप ने K2 धूमकेतु की खोज की थी. इस दौरान यह सौर मंडल के बाहरी किनारे पर था.

उस समय वैज्ञानिकों ने माना था कि खोजा गया धूमकेतु सबसे दूर है. बीते साल इसने (Megacomet Bernadinelli-Bernstein) मेगाकॉमेट बर्नाडिनेली-बर्नस्टीन की दूरी को पार कर लिया था. अब 14 जुलाई को यह पृथ्वी से 27 करोड़ किलोमीटर दूर से गुजरेगा. हालांकि इससे धरती को कोई खतरा नहीं माना जा रहा है.

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वैज्ञानिकों के लिए इसके धरती के पास आना अद्भुत नजारा होगा. बता दें कि बीते साल से K2 धूमकेतु धरती की तरफ लगातार बढ़ रहा है. धूमकेतु जमी गैस, पत्थर और धूल का एक गुब्बार होता है. सूरज के पास पहुंचने पर यह पिघलने लगता है जिसकी वजह से इसके पीछे सफेद रंग की पूंछ दिखाई देती है. धूमकेतु के चारों तरफ बनने वाले बादल को कोमा कहा जाता है.

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जब से इसको खोजा गया है, तभी से यह सक्रिय है. तब यह शनि ग्रह और यूरेनस के आसपास की कक्षा में घूम रहा था. उस दौरान यह धरती से 240 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर था.

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शुरुआती जांच में पता चला कि इस धूमकेतु का (nucleus) न्यूक्लियस यानी केंद्र बहुत विशाल है.(Canada-France-Hawaii Telescope) कनाडा-फ्रांस-हवाई टेलिस्कोप की मदद से इस पर स्टडी की गई थी. माना जाता है कि (K2 Comet's Nucleus) K2 धूमकेतु का न्यूक्लियस 30 से 160 किलोमीटर के बीच चौड़ा हो सकता है.

हबल स्पेस टेलिस्कोप से पता चला था कि इसकी चौड़ाई 18 किलोमीटर है. धरती के पास आने पर अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसके सही आकार का पता लगा पाएंगे. धरती पर मौजूद टेलिस्कोप की नजर 19 दिसंबर तक इस पर रहेगी.