Chanakya Niti : इस काम में कभी ना करें लालच, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति 

चाणक ने अपनी वेबसाइट में बताया है कि इंसान को किस तरह अपना जीवन जीना चाहिए। निर्मित उद्यमों पर जो रहता है, जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती और न ही कोई कमी होती है। चाणक के अनुयायियों की वजह से ही चंद्रगुप्त मौर्य युग की स्थापना हुई थी। आज के दौर में भी उनकी अलौकिक समान प्रभाव वाली बातें हैं, जो पहले करती थीं। आइए जानते हैं किन लोगों के पास नहीं रहती हैं इस तरह की चीजें...
 

धन के लालची लोगों के पास रहती है इस चीज की कमी

चाणक ने अपनी वेबसाइट में बताया है कि इंसान को किस तरह अपना जीवन जीना चाहिए। निर्मित उद्यमों पर जो रहता है, जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती और न ही कोई कमी होती है। चाणक के अनुयायियों की वजह से ही चंद्रगुप्त मौर्य युग की स्थापना हुई थी। आज के दौर में भी उनकी अलौकिक समान प्रभाव वाली बातें हैं, जो पहले करती थीं। आइए जानते हैं किन लोगों के पास नहीं रहती हैं इस तरह की चीजें...

ऐसे लोगों के लिए नहीं है पढ़ाई

गृहसक्तस्यनेविघा नोदयामांभोजन:
द्रव्यलुब्धास्यनोस्त्यं स्त्रैणस्यनपराता
आचार्य चाणक ने बताया है कि जिस व्यक्ति का ध्यान घर में लग जाता है यानी जो घर की उलझनों और विषयों में रुचि लेने लगता है उसका ध्यान पढ़ने से लग जाता है। इसलिए विद्यार्थियों को घर के विषयों से दूर रहना चाहिए और परिवार मोह में फंसना नहीं चाहिए। यही कारण है कि प्राचीन काल में बच्चे गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करते थे।

Chanakya Niti : पत्नी को सुधारना है तो अपनाएँ ये तरीके
तृष्णा नहीं अति दया

श्लोक में चाणक ने आगे कहा है कि जो व्यक्ति मांसाहारी है, उसकी आशा नहीं की जा सकती। जो व्यक्ति जानवर पर दया नहीं कर सकता, इंसान पर तो वह कभी नहीं कर सकता। मांस तामसिक भोजन में तमोगुण की मात्रा अधिक होती है जिससे शरीर पर दवा की भावना हावी हो जाती है।

इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता

जिस व्यक्ति के पास धन का लालच होता है, उस पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता। धन का लालची इंसान हमेशा-हमें ऐसा ही चक्कर में रहता है कि वह किस तरह और धन को इकट्ठा कर सकता है। इसके लिए वह प्रतिबंध को भी ताक पर रख देता है। चाणक कहते हैं ऐसे व्यक्ति से सत्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती, उनमें सच्चाई नहीं होती।

ऐसे लोग पवित्र नहीं होते

श्लोक में चाणक ने आगे बताया है कि जिस व्यक्ति का आचरण सही नहीं होता, वह केवल शरीर से नहीं बल्कि मन से भी पवित्र नहीं रहता। जो व्यक्ति सदैव कार्य भावना के बारे में ही सोचता है, वह कभी पवित्र नहीं होता। इसे चाणक ने अपने शब्दों में कहा है कि व्यवहार कभी शुद्ध नहीं होता।