Flat Ownership Rights: मालिक को हमेशा के लिए छोड़ना होगा फ्लैट, इतने साल बाद, जानिए ये कानून

Flat Ownership Rights: आपको बता दें, की फ्लैट खरीदारों की चिंता को दूर करने के लिए कई कानून बनाए हैं, एडवोकेट आनंदपति तिवारी बताते हैं। दरअसल, समय के साथ हर इमारत कमजोर हो जाएगी। वह एक दिन ढाहने की जरूरत महसूस करेगा, जानिए पूरी डिटेल। 

 

Haryana Update, Flat Ownership Rights: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की देश के कई बड़े शहरों में एक या दो मंजिला घरों के बजाय ऊंची-ऊंची इमारतों वाली गली अब अधिक देखने में आती हैं। इनमें फ्लैट्स 99 साल की लीज पर उपलब्ध हैं। दूसरे शब्दों में, खरीदारों को 99 वर्ष तक फ्लैट का उपयोग करने की अनुमति मिलती है। ऐसी संपत्ति को लीजहोल्ड संपत्ति कहते हैं। 99 साल के बाद, क्या आपसे ये फ्लैट वापस लिए जाएंगे, लीजहोल्ड पर खरीदे गए फ्लैट से आपका मालिकाना हक खत्म हो जाएगा। 

देश में लीजहोल्ड और फ्रीहोल्ड 2  प्रकार की खरीद-बिक्री 
जमीन, मकान, दुकान और फ्लैट। देश में अधिकांश लोग जमीन लेकर घर बनाना या जमीन सहित मकान खरीदना पसंद करते हैं। लेकिन जमीन की अधिक कीमत के कारण फ्लैट खरीदते हैं। पुराने लोगों से अक्सर सुना होगा कि जमीन और छत अपनी होनी चाहिए। पहले फ्रीहोल्ड और लीजहोल्ड संपत्ति को समझते हैं।

पुश्तैनी जमीन फ्रीहोल्ड संपत्ति से बनती हैं
फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी वह संपत्ति है जिस पर खरीदार के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति का अधिकार नहीं है। ऐसी संपत्ति खरीदार के बच्चों और फिर उनके बच्चों को स्वचालित रूप से हस्तांतरित होती रहती है। दूसरे शब्दों में, फ्रीहोल्ड संपत्ति ही पुश्तैनी संपत्ति बनती है। इसे बेचने या वसीयत के जरिये उसे देने पर परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति इस पर अधिकार जता सकता है। फ्री-होल्ड संपत्ति खरीदने के बाद, यह पूरी तरह से खरीदार की होती हैं।

लीजहोल्ड संपत्ति की लीज बढ़ाना
फ्लैट्स, दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबद समेत देश के अधिकांश शहरों में लीजहोल्ड प्रॉपर्टी के तौर पर बेचे जा रहे हैं। इसी अवधि तक आपके पास ये फ्लैट्स हैं। कुछ जमीन को 10 वर्ष, 20 वर्ष, 15 वर्ष या 30 वर्ष की लीज भी दी जाती है। लीज होने वाली कम अवधि की संपत्ति खरीदने पर बैंक से लोन मिलना भी मुश्किल हो जाता है। लीज होने के बाद संपत्ति मूल मालिक के पास वापस चली जाती है। मुख्य मालिक पूरी इमारत को अपनी जमीन पर गिरा भी सकता है अगर वह चाहे। ऐसे में, खरीदार को लीजहोल्ड संपत्ति को बचाने के लिए लीज बढ़वानी पड़ती हैं।

लीजहोल्ड संपत्ति का हक कैसे बना रहेगा
लीजहोल्ड पर संपत्ति खरीदने वालों को घबराने की जरूरत नहीं है, वकील सलीम शाह ने कहा। लीज अवधि समाप्त होने पर इसे बढ़ाया जा सकता है। वहीं, अवधि पूरी होने से पहले ही लीजहोल्ड संपत्ति को फ्रीहोल्ड संपत्ति में बदलवा सकते हैं, जिससे आप हमेशा के लिए संपत्ति पर अपना अधिकार पा सकते हैं। संबंधित प्राधिकरण में आवेदन करके शुल्क देना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बार-बार लीजहोल्ड संपत्ति को फ्रीहोल्ड में बदलने की योजना बनाती रहती हैं। बड़ी-बड़ी सोसायटीज में बिल्डर्स को ये काम करना होता है। इसके लिए राज्यों का शुल्क भी अलग लगता हैं।

अगर इमारत लीज अवधि से पहले ध्वस्त हो जाए तो 
उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के एडवोकेट आनंदपति तिवारी ने कहा कि अगर इमारत को लीज अवधि समाप्त होने से पहले गिराया जाता है, तो फ्लैट मालिकों को जिस जमीन पर फ्लैट्स बने हैं, उसके सर्किल रेट के आधार पर तय कीमत बराबर-बराबर दी जाएगी। मान लीजिए किसी 200 गज जमीन पर 10 फ्लैट बने हैं, उन्होंने उदाहरण देकर कहा। लीज अवधि समाप्त होने से पहले सभी फ्लैटों की मरम्मत की जाएगी, 200 गज जमीन के सर्किल रेट के आधार पर निर्धारित कीमत सभी फ्लैटों में बराबर बांटी जाएगी। दूसरे शब्दों में, प्रत्येक फ्लैट मालिक 20 गज जमीन का स्वामी होगा।वहीं, दूसरा उपाय यह है कि बिल्डर को सभी फ्लैट मालिकों को नई इमारत बनाने के लिए कह सकते हैं। उन्हें इसके लिए निर्माण लागत का भुगतान करना होगा।
 
सोसायटी की जमीन में फ्लैट खरीदार की हिस्सेदारी
सरकार ने फ्लैट खरीदारों की चिंता को दूर करने के लिए कई कानून बनाए हैं, एडवोकेट आनंदपति तिवारी बताते हैं। दरअसल, समय के साथ हर इमारत कमजोर हो जाएगी। वह एक दिन ढाहने की जरूरत महसूस करेगा। वहीं, बिल्डिंग प्राकृतिक आपदाओं या खराब कंस्ट्रक्शन के कारण भी गिर सकती है। ऐसे में सरकार ने अनडिवाइडेट जमीन शेयरों (UDS) का कानून बनाया है। इसके तहत, सोसायटी की जमीन पर फ्लैट खरीदार भी हिस्सेदारी होगी। यही कारण है कि प्रत्येक सोसायटी में फ्लैट खरीदारों को जमीन में प्रत्यक्ष हिस्सेदारी दी गई हैं।

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