Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी कोर्ट Carbon Dating पर फैसला, जिला जज ने वैज्ञानिक जाँच से मना किया.. 

Big Breaking : Hindu Lawyer Madan Mohan Said, "We have full hope the decision will be in Our favour"
 

Live Carbon Dating :  ज्ञानवापी कार्बन डेटिंग मामले (Gyanvapi Carbon Dating Case) में वाराणसी की जिला अदालत शुक्रवार (14 अक्टूबर) को फैसला सुनाएगी।
कोर्ट ने इससे पहले दोनों पक्षों को सुनने के बाद 11 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट यह तय करेगी कि कार्बन डेटिंग(Carbon Dating ) या वैज्ञानिक विधि से ज्ञानवापी परिसर की जांच करानी है या नहीं? 

दरअसल, हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग कह रहा है उसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। हिंदू पक्ष की मांग है कि शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाए।
ताकि उसकी उम्र का पता चले और फिर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। कार्बन डेटिंग की मांग चार महिलाओं ने की है। वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत इस मामले में सुनवाई कर रही है। 

"क्या है कार्बन डेटिंग(Carbon Dating)"

किसी वस्तु की उम्र और समय निर्धारण की विधि को कार्बन डेटिंग(Carbon Dating ) कहते हैं। इससे 20 हजार साल पुरानी वस्तुओं की उम्र का पता लगाया जा सकता है। कार्बन डेटिंग विधि की खोज 1949 में की गई थी।
इसलिए हिंदू पक्ष शिवलिंग की उम्र का पता लगवाने के पक्ष में है। यह पूरा मामला मस्जिद की दीवार से सटी श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना की इजाजत की मांग से शुरू हुआ था, जो शिवलिंग के दावे तक पहुंचा है।

"मई में हुआ था Gyanvapi Masjid का सर्वे"

इस साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद(Gyanvapi Masjid) का सर्वे हुआ था। इस पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने के बीच में एक कथित शिवलिंग मिला है। वहीं मुस्लिम पक्ष उसे फब्वारा बता रहा है।
ऐसे में अब याचिकाकर्ताओं की मांग है 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग(Carbon Dating ) के साथ-साथ वैज्ञानिक जांच कराई जाए। साथ ही शिवलिंग को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए।