हरियाणावासियों की हुई मौज, सरकार ने खत्म किया बिजली पर मासिक शुल्क, अब देने होंगे इतने रुपये

Haryana News: इस फैसले से राज्य के करीब साढे 9 लाख बिजली उपभोक्‍ताओं को लाभ होने वाला है। अब तक उपभोक्‍ताओं से बिजली विभाग प्रति किलोवाट 115 रुपये मासिक शुल्‍क के रूप में वसूल रहा था। खर्च हुई यूनिट के पैसों के साथ यह शुल्‍क जुड़ने से बिल बढ़ जाता था।

 

Haryana Update. हरियाणा सरकार ने राज्य के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। राज्य सरकार की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि जितने यूनिट बिजली खर्च होगी, उतना ही बिल आएगा। इस तरह मंथली मिनिमम चार्ज (MMC) को समाप्त कर दिया है। बताया जा रहा है कि अब प्रदेश में जिन लोगों के घरों में 2 किलोवाट तक के मीटर लगे हुए हैं, उन्‍हें केवल खर्च की गई यूनिट का ही बिल भरना होगा।

इस फैसले से राज्य के करीब साढे 9 लाख बिजली उपभोक्‍ताओं को लाभ होने वाला है। अब तक उपभोक्‍ताओं से बिजली विभाग प्रति किलोवाट 115 रुपये मासिक शुल्‍क के रूप में वसूल रहा था। खर्च हुई यूनिट के पैसों के साथ यह शुल्‍क जुड़ने से बिल बढ़ जाता था।

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रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के राज्य स्तरीय प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के लाभार्थियों को कार्ड बांटे। 

इस योजना के तहत मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के घरों की छतों पर रूफटॉप सौर पैनल स्थापित किए जाने हैं। इससे ये लोग पर्याप्त बिजली पैदा करके बिजली के उत्पादक और उपयोगकर्ता दोनों बन सकेंगे। साथ ही, इस पहल से बिजली बिल भी कम होगा।

गर्मी के दिनों में हरियाणा मे बढ़ गई बिजली की खपत

अगर पंजाब की बात करें तो वहां जून के 15 दिनों में बिजली की खपत 2023 की इसी अवधि की तुलना में 43 प्रतिशत बढ़ गई है। इस साल अब तक पंजाब की अधिकतम मांग 15775 मेगावाट हो गई है। पिछले साल जून के पहले 15 दिनों में अधिकतम बिजली की मांग 11309 मेगावाट और धान के मौसम में 23 जून को 15325 मेगावाट थी। पंजाब राज्य में धान की खेती के कारण आने वाले दिनों में अतिरिक्त कृषि भार बढ़ने की उम्मीद है, जिससे बिजली की स्थिति बेकाबू हो सकती है। एआईपीईएफ ने पहले भी प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर मांग की है कि भीषण गर्मी के मौजूदा हालात में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए लू को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।