Haryana News: निजी स्कूलों की मनमानी पर लगी रोक, हरियाणा में किताबों को लेकर CM ने नई नीति बनाने के दिए निर्देश

Haryana Update: इस दौरान स्कूलों द्वारा किताबों के मनमानी दाम को लेकर भी मामला आया, जिस पर सीएम ने उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अंशज सिंह को फोन किताबों लेकर ऐसी नीति बनाने के निर्देश दिए जिससे अभिभावकों को परेशान न होना पड़े
 

Haryana News: सीएम मनोहर लाल शनिवार को सेक्टर-12 स्थित एचएसवीपी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित जिला लोक संपर्क एवं कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए परिवादों की सुनवाई की। इस दौरान बैठक में कुल 14 शिकायतों पर सुनवाई की गई, जिसमें से 12 शिकायतों का निपटारा मौके पर कर दिया गया। इ

सीएम के इस फरमान के बाद अब प्राइवेट स्कूलों में किताबों को लेकर मनमानी नहीं चलेगी। प्राइवेट स्कूलों को किताबों की बिक्री मनमाने ढंग से करने से रोकने के लिए नई नीति बनाई जाएगी। जिससे अभिभावकों को आर्थिक रूप से परेशानी न हो।

नई नीति के तहत पुस्तकों के पेज व कागज की गुणवत्ता के साथ मूल्य निर्धारित किए जाएंगे और प्रदेश स्तर पर पुस्तकों के चार्ट बनाकर आमजन को जानकारी दी जाएगी।

अभिभावक ने सीएम से की डीपीएस स्कूल की शिकायत

इस दौरान सेक्टर-19 निवासी अनुज खुराना ने बताया कि उन्होंने बेटे अधित खुराना का दाखिला ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर-89 स्थित मॉडर्न डीपीएस में नर्सरी में कराया था। दाखिले के समय स्कूल प्रबंधन द्वारा ट्यूशन फीस 50 हजार रुपये और 10 हजार रुपये दूसरे मद में जमा कराए गए। पैसे जमा करने के बाद देखा कि बेटे का नाम वेटिंग लिस्ट में है।

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स्कूल प्रबंधन से पता करने पर उन्होंने कहा कि इसकी वजह नहीं बता सकते हैं और दाखिला होगा या नहीं यह भी पूर्ण आश्वासन नहीं दे सकते हैं। दाखिला न होने पर पूरी फीस वापस कर दी जाएगी।

यह बात सुनकर अनुज ने कहा कि फीस रसीद पर तो ट्यूशन फीस नॉन रिफंडेबल लिखा है तो मुझे आपकी बात पर कैसे यकीन होगा। उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

ऐसे में प्रार्थी ने बच्चे का दाखिला रद्द करवाने के लिए आवेदन किया तो स्कूल प्रबंधन ने नॉन रिफंडेबल की बात बोलकर फीस लौटाने से साफ इन्कार कर दिया। इसी प्रकार उन्होंने निजी स्कूल द्वारा अभिभावकों से पुस्तकों के अधिक रेट लेने का मुद्दा उठाया।

इस पर मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अंशज सिंह से फोन पर बातचीत करते हुए इस प्रकार के अभिभावकों के आर्थिक नुकसान को रोकने के लिए पॉलिसी बनाने के आदेश दिए। साथ ही निजी स्कूलों को निर्धारित स्लैब के अनुरूप फीस लेने के आदेश दिए गए।

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