Haryana News : इस शहर का घेवर कई देशो में है फ़ेमस, 1500 किलो भी रोज पड़ जाता है कम 

आज भी, सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार बहन-बेटियों को दी जाने वाली कोथली में घेवर शामिल है। इसका स्वाद और गुण समय के साथ सुधर रहे हैं। इसे पहले शुगर-मुक्त किया गया था, लेकिन अब स्वदेशी रूप में बनाया जा रहा है, 
 

लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए। इसे वनस्पति घी से लेकर देसी घी में बनाया जाता है, ताकि हर वर्ग तक इसकी पहुंच हो सके।

इसकी मांग देश-विदेश में भी है। रोहतक शहर में हर दिन लाखों रुपये का कारोबार होता है।

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रोहतक के घेवर की प्रसिद्धि प्रदेश में मानसून के मौसम में मिठाई की दुकानों में घेवर की बिक्री सबसे अधिक होती है। रोहतक के घेवर प्रदेश में सबसे प्रसिद्ध है। मई से ही कलाकारों ने काम शुरू किया है। जब हरियाणा में कलाकारों की कमी होती है, तो उत्तर प्रदेश के कलाकारों को बुलाया जाता है। रोहतक से नियमित रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, चंडीगढ़ और दिल्ली तक घेवर भेजा जाता है। यह कूरियर से भेजा जाता है। इसकी बुकिंग ऑनलाइन की जा सकती है।

रोहतक का घेवर कनाडा सहित कई देशों में भेजा जाता है। विदेशी लोग भी घेवर खरीदकर अपने साथ ले जाते हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा से आए कलाकार भीमसेन और ओमप्रकाश ने बताया कि वे और उनके कई साथी आए थे। सीजन में कलाकारों की मांग तेजी से बढ़ी है। शहर में कई स्थानों पर घेवर बनाया जा रहा है। नम हवा घेवर का असली स्वाद देती है।

200-300 kg राज्य से बाहर जाते हैं 1000 किलो से अधिक प्रतिदिन खपत होती है, जैसा कि घेवर ने बताया है। 200 से 300 किलोग्राम राज्य छोड़ देते हैं। इसमें खरीददार पैकिंग और कूरियर की लागत देता है। दूध वाला और सादा घेवर एक सप्ताह चलता है। यह देश में 3 दिन में कूरियर से पहुंच जाता है। इसके लिए कूरियर कंपनी प्रति किलो 120 रुपये चार्ज करती है। 200 से अधिक छोटे-बड़े कारोबारी जिले में घेवर बनाते हैं, जिसकी दैनिक बिक्री 10 लाख रुपये से अधिक है

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सालों से यहाँ घेवर बनाया जाता है। अब लोगों को चीनी पसंद नहीं है, इसलिए इसका उपयोग करना बंद कर दिया गया है। अब हम घेवर को घरेलू खांड में तैयार कर रहे हैं। 15 मई से इसे बनाना शुरू हुआ और 8 अगस्त तक चलेगा। यदि मौसम में नमी जारी रहती है, तो कार्य जारी रहेगा। जब तक स्वाद बना रहता है, लोग खरीदते हैं—