Jeera Ke Bhav: स्टॉकिस्टों की मुनाफा वसूली के कारण हाल ही में जीरे में मंदी, देखें तेजी-मंदी रिपोर्ट
जीरा का भाव भविष्य 2023,Jeera Ke Bhav: सटोरिया प्रवृत्ति के स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली बिकवाली के कारण हाल ही में जीरे में मंदी आई थी। घटी कीमत पर पुन: लिवाली बढ़ने से इस प्रमुख किराना जिंस में फिर से तेजी आनी शुरू हो गई है। अत: आगामी दिनों में भी इसमें तेजी-मंदी की यह स्थिति ऐसे ही जारी रहने के आसार हैं।
जीरे की कीमत रिकॉर्ड
ऊंझा में जीरे की कीमत रिकॉर्ड तोड़ ऊंचे स्तर पर बनी होने के बाद सटोरिया प्रवृत्ति के स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली बिकवाली शुरू हो गई थी। इसकी वजह से ऊंझा में जीरे की थोक कीमत मंदी होती हुई क्वालिटीनुसार 7700/8000 रुपए प्रति 20 किलोग्राम रह जाने के बाद इसमें थोड़ी तेजी आई है।
इसी प्रकार, स्थानीय थोक किराना बाजार में भी जीरा सामान्य 41,500 रुपए प्रति क्विंटल का निचला स्तर छूने के बाद थोड़ा तेज हुआ है।(Jeera Ke Bhav) कीमत में आई मंदी के कारण किसान भी अपनी इस फसल की बिक्री हाथ रोककर कर रहे हैं। यही वजह है कि ऊंझा में जीरे की आवक लगातार दूसरे दिन भी 20 हजार बोरियों की होने की सूचना मिली।
कुछ दिनों पूर्व जीरे की कीमत 8300/8350 रुपए प्रति 20 किलोग्राम का सर्वोच्च रिकॉर्ड पर पहुंचने का प्रमुख कारण यह है कि बीते मार्च महीने में हुई वर्षा के कारण खासकर राजस्थान में फसल को हानि हुई थी। बहरहाल, गुजरात और राजस्थान जैसे प्रमुख जीरा उत्पादक राज्यों में इस बार अच्छी मानसूनी वर्षा हुई है लेकिन अब एक निजी मौसम सेवा स्काईमेट ने वर्ष 2023 के मानसून में वर्षा सामान्य से कमजोर होने यानी दीर्घावधि औसत की 94 प्रतिशत होने का अनुमान व्यक्त किया है। इससे भी जीरा बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है।
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बीते सीजन के दौरान
दूसरी ओर, बीते सीजन के दौरान जीरे के उत्पादन में करीब एक तिहाई की गिरावट आने की आशंका के बाद से इसकी थोक कीमत ने रुक-रुककर नए-नए रिकॉर्ड कायम किए थे। हालांकि फिलहाल निर्यातकों की सक्रियता देखी जा रही है परन्तु इतनी ऊंची कीमत की वजह से उनकी मांग सामान्य से कमजोर बताई जा रही है। बड़ी चिंता की बात यह है कि समुद्री भाड़ा भी बीते कुछ समय के दौरान बढ़ता हुआ फिलहाल करीब 5 गुणा तक ऊंचा हो गया है। भाड़े की दर आसमान पर होने के करण भी अन्य प्रमुख जिंसों के साथ-साथ जीरे की निर्यात का अभाव बना हुआ है।
भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है (Jeera Ke Bhav)लेकिन अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है।
अप्रैल-जनवरी अवधि
वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-जनवरी अवधि में जीरे का मात्रात्मक निर्यात 18 प्रतिशत घटकर 1,54,782 टन का हुआ जबकि आय इतनी ही बढ़कर 3346.79 करोड़ रुपए की हुई।(Jeera Ke Bhav) एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में देश से 2837.42 करोड़ रुपए मूल्य के 1,88,428 टन जीरे का निर्यात हुआ था। आगामी दिनों में भी जीरे में ऐसे ही तेजी-मंदी की स्थिति बनी रहने का अनुमान है।
नोट : कृपया व्यापार अपने विवेक से करें, धन्यवाद
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