Delhi NCR की हवा में धुआं ही धुआं, दिल्लीवासी एक्सपर्ट से जरूरी सलाह लें
Haryana Update: दिल्ली की हवा अब जहरीली हो गई है। खराब प्रदूषण है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के दौरान स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है। सेहतमंद लोगों के लिए भी खराब हवा खतरनाक हो सकती है।आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
डॉक्टर विजय हड्डा, एम्स दिल्ली के पल्मनरी मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर, कहते हैं कि एयर क्वॉलिटी खराब होने से ना सिर्फ बीमार लोगों पर बल्कि सेहतमंद लोगों पर भी असर पड़ेगा। इस समय आपको बाहर की कोई भी एक्टिविटी करने से बचना चाहिए, जैसे दौड़ना, तेज चलना या व्यायाम करना। ज्यादा सांस लेने से शरीर में अधिक खराब हवा जाएगी। कम तापमान वाली हवा में पल्यूटेंट हमारे नाक-मुंह के स्तर पर होते हैं, इसलिए बीमार होने का खतरा रहता है।
25 से 30 प्रतिशत तक बढ़े मरीज
बीएलके मैक्स हॉस्पिटल के सीनियर पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. संदीप नायर बताते हैं कि ओपीडी में मरीजों की संख्या कुछ ही दिनों में 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है। दमा, अस्थमा और सीओपीडी (क्रॉनिक इन्फ्लेमेटरी लंग डिजीज) की समस्याएं बढ़ने लगी हैं। डॉ. नायर ने कहा कि लोग जो पहले से बीमार हैं या फ्लू के लक्षण दिखाते हैं, बचाव मास्क पहन सकते हैं।
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इन दिनों फ्लू काफी फैल रहा है और बुखार, खांसी और कमजोरी के लक्षणों से लोग अस्पताल आ रहे हैं। लोगों को स्मॉग आने वाले दिनों में तैयार रहना चाहिए क्योंकि परिस्थितियां बदतर होंगी। पुराने मरीजों को अपनी दवाएं समय पर लेनी चाहिए, बिना डॉक्टर की सलाह के छोड़ दें, क्योंकि ये दवाएं संक्रमण से बचाव करती हैं। साथ ही, इस मौसम में लोगों को अक्सर प्यास नहीं लगती, इसलिए वे बहुत कम पानी पीते हैं, जो बाद में मुसीबत पैदा करता है।
पहले से मरीज! विशेष ध्यान दें
डॉ. विजय हड्डा बताते हैं कि सांस के मरीज आजकल ओपीडी में कई लक्षणों के साथ आ रहे हैं और प्रदूषण के कारण उनकी समस्याएं बढ़ने लगी हैं। जिन मरीजों की सांस की बीमारी पहले से नियंत्रण में है, वे भी बीमार होते हैं। खांसी, सांस लेने में तकलीफ या छाती में भारीपन या दर्द या कमजोरी होने लगती है त्वचा या आंखों की बीमारी के रोगियों में भी लक्षण जल्दी दिखाई देते हैं। यद्यपि, खराब हवा का प्रभाव किडनी, दिल, ब्रेन और लीवर पर लंबे समय तक दिखाई नहीं देता। विभिन्न अध्ययनों ने पाया कि खराब हवा में लंबे समय या कुछ सालों तक रहने वाले लोगों में दिल का दौरा, कैंसर, स्ट्रोक, या सोचने की क्षति की अधिक संभावना होती है।
अगर बच्चे एलर्जी है
डॉ. ग्लैडविन त्यागी, स्वामी दयानंद अस्पताल में फिजिशियन, बताते हैं कि ओपीडी में मरीजों में बच्चे भी बढ़ने लगे हैं। सुबह की ठंड से बचने के लिए बच्चे गर्म कपड़े नहीं पहनते जब वे स्कूल जाते हैं। जिन बच्चों को एलर्जी की समस्या है, वे भी अस्थमा की शिकायत करते हैं। वर्तमान में वायरल हमला भी है, इसलिए दोनों मिलकर अधिक मुसीबत पैदा कर सकते हैं। बच्चों को एंटीऑक्सिडेंट भोजन देना चाहिए, जैसे मौसमी फल और सब्जियां। यदि वह बीमार है, तो उसे स्कूल नहीं भेजें क्योंकि इससे उसकी स्वास्थ्यस्थिति और बाकी बच्चों को खतरा हो सकता है।