Delhi Liquor Discount: शराब में बंपर छूट से छूटा ठेके वालों का पसीना, कई व्यापारियों ने सरेंडर कर दिए अपने लाइसेंस

Delhi Liquor Discount: The sweat of the contractors left behind by the bumper discount in liquor, many traders surrendered their licenses

 

दिल्ली शराब पर भारी छूट (Delhi Liquor Discount) के साथ जहां शराब के शौकिनों के लिए अच्छा समय चल रहा है, वहीं खुदरा विक्रेताओं को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.

 

 

दिल्ली आबकारी विभाग (Delhi Excise Department) द्वारा बनाए गए पूर्वनिर्धारित इलाकों में शराब की दुकानों को खोलने के लिए परमिट पाने के लिए बड़ी रकम का भुगतान करने वाले कई व्यापारियों ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं.

उद्योग के अदंरूनी सूत्रों ने कहा कि कई ब्रांडों पर दी जाने वाली छूट से भारी वित्तिय नुकसान हुआ है, जिससे व्यवसाय अव्यवहारिक हो गया है. आबकारी अधिकारियों के अनुसार 32 में से 9 जोन में डीलरों (Liquor Dealers) ने कारोबार जारी रखने में असमर्थता जताई है.

Also Read This News-Kanpur Violence: बवाल में चले सैकड़ों पेट्रोल बम, अपनी ही फोर्स से बोले एसीपी...

आबकारी विबाग द्वारा अपनी वेबसाइ पर साझा की गई शराब की दुकानों की सूची के अनुसार दिल्ली में अब सिर्फ 464 दुकानें ही बची हैं. इससे अलावा बाकि दुकानों पर लंबी कतारें लग गई हैं औ स्टॉक की लगातार कमी हो रही है.

दिल्ली आबकारी नीति 2021-2022 के तहत राज्य सरकार ने 849 दुकानों को लाइसेंस दिए. नगर निकायों द्वारा गैर-अनुरूप इलाकों में शराब की दुकानों का विरोध करने और कई इलाकों में निवासियों द्वारा विरोध के साथ मई तक केवल 639 दुकानें ही खुलीं.

जब आबकारी विभाग ने हालही में मौजूदा उत्पाद नीति को दो महीने के लिए बढ़ा दिया और लाइसेंस धारकों को आनुपातिक आधार पर शुल्क जमा करने के लिए कहा, तो कुछ ने बस इसे बंद करने का तय कर लिया.

भारी छूट की मार

एक शराब डीलर ने से कहा कि उसने एख जोन में 27 दुकानें खोलने के लिए लाइसेंस लेने के लिए 250 करोड़ से अधिक की बोली लगाई थी. लेकिन कुछ इलाकों में रहने वाले निवासियों के विरोध और नगर निगम द्वारा शराब बेचने की अनुमति देने से इनकार करने के कारण 15 से अधिक दुकान नहीं खुल सकी.

Also Read This News-Andhra Pradesh 10th result will be released tomorrow

उन्होंने कहा कि कुछ डीलरों ने अपनी दुकानों पर भारी छूट कर दी क्योंकि वो थोक विक्रेताओं से खरीदारी कर रहे थे. थोक विक्रेताओं ने भी उन्हें भारी छूट दी. क्योंकि हम बड़े व्यापारी नहीं है इसलिए हमें ऐसी छूट नहीं मिलती है. लेकिन अगर हमें व्यवसाय में बने रहना है तो छूट देने के लिए मजबूर होते हैं. इसने व्यापार को हमारे लिए पूरी तरह से अव्यवहारिक बना दिया है.