Adani: CBI जल्द ही दायर करेगी अपनी क्लोजर रिपोर्ट, जल्दी ही बंद होगा अडानी एंटरप्राइजेज के खिलाफ केस

Adani Case: आप सभी को पता होगा की 2020 में 3 साल की आरंभिक जांच के बाद सीबीआई ने अडानी एंटरप्राइजेज और अन्‍य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. हम आपको बता दे कि इस दौरान ये आरोप लगाया गया था, कि अडानी एंटरप्राइजेज अपने लाभ के लिए निविदा शर्तों का उल्‍लंघन कर रहा है.

 

Haryana Update: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने आयातित कोयले की आंध्र प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम को आपूर्ति करने के लिए ठेका देने में कथित अनियमितता को लेकर अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ मामला बंद करने के लिए कोर्ट में क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल की है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी ने विशेष सीबीआई अदालत में यह रिपोर्ट दायर की है. सीबीआई ने 2020 में यह मामला दर्ज किया था. इसमें अडानी एंटरप्राइजेज के साथ ही एनसीसीएफ के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह, तत्कालीन प्रबंध निदेशक जी.पी. गुप्ता और वरिष्ठ सलाहकार एस.सी. सिंघल को आरोपी बनाया गया था.

अब विशेष अदालत इस बात पर फैसला करेगी कि सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या मामले और जांच का आदेश दिया जाए.

सीबीआई ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और जन वितरण मंत्रालय की तत्कालीन उप-सचिव प्रेमराज कौर की शिकायत पर तीन साल तक शुरुआती जांच करने के बाद 2020 में अडानी एंटरप्राइजेज, एनसीसीएफ के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह, जी.पी. गुप्‍ता और एस.सी. सिंघल के खिलाफ मुकदमा दायर किया था.

अपनी जांच में सीबीआई ने कहा था कि आंध्र प्रदेश में विद्युत स्टेशनों को कोयले की आपूर्ति के लिए कंपनी का चयन करने में अनियमितता बरती गई थी. सीबीआई ने अब अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता कौर ने सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है.

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अदालत ने सेवानिवृत्त अधिकारी और मौजूदा उपसचिव को सुनवाई की अगली तारीख को अदालत में पेश रहने के लिए नोटिस जारी किया है.

जाने अडानी पर किस बात का लगाया है आरोप

सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम ने विजयवाड़ा में नारला टाटा राव ताप विद्युत संयंत्र और कडप्पा में रायलसीमा ताप विद्युत संयंत्र को बंदरगाह के रास्ते से आयातित छह लाख मीट्रिक टन (एमटी) कोयले की आपूर्ति करने के लिए 29 जून 2010 को निविदा जारी की थी.

एजेंसी ने आरोप लगाया था कि एनसीसीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने अडानी एंटरप्राइजेज को अनुचित लाभ देने के लिए उसके साथ निविदा वार्ता की, जबकि कंपनी इसके योग्य नहीं थी.

सीबीआई ने अडानी एंटरप्राइजेज को लाभ पहुंचाने और निविदा प्रक्रिया दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के साथ-साथ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत मामला दर्ज किया था.

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