कर्मचारियों का एक्शन प्लान, पुरानी पेंशन योजना और 18 महीने की DA Arrear

DA Arrear Big Update: दिल्ली के रामलीला मैदान में सरकारी कर्मियों ने पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर दो रैलियां की हैं। इस रैली में सात महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाएंगे, एनपीएस की समाप्ति और ओपीएस की पुनर्स्थापना सबसे पहले होंगे।
 

Haryana Update: आपको बता दें कि दिल्ली के रामलीला मैदान में पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर दो रैलियां हुई हैं। यही कारण है कि कर्मचारियों के लिए एक्शन प्लान तैयार है, जो पुरानी पेंशन योजना और 18 महीने की डीए एरियर को शामिल करता है।

बाद में कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में निजीकरण पर रोक लगाना, आठवां वेतन आयोग बनाना, केंद्र सरकार में रिक्त पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरना और कोरोना काल में रोके गए 18 महीने के डीए एरियर को फिर से शुरू करना शामिल हैं। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्मेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स इस रैली को संचालित करेगा। ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन सहित करीब पांच सौ कर्मचारी संगठन इसमें भाग लेंगे। 

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निर्णायक संघर्ष की ओर बढ़ते कर्मचारी: केंद्रीय और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन अब 'पुरानी पेंशन' पर संघर्ष कर रहे हैं। केंद्रीय कर्मचारियों की दो बड़ी रैलियों के बाद अब तीसरी बड़ी रैली तीन नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होगी। हालांकि इस रैली में ओपीएस के साथ कई दूसरे मुद्दे भी उठाए जाएंगे। 


कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने बताया कि कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में निजीकरण पर रोक लगाना, केंद्र सरकार में रिक्त पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरना, आठवें वेतन आयोग का गठन करना और कोरोना काल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर जारी करना शामिल हैं। पिछले वर्ष से ही सरकारी कर्मचारियों की लंबी मांगों को लेकर चरणबद्ध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।


कर्मचारियों के ज्वाइंट नेशनल कन्वेंशन ने दिसंबर 2022 को दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में जारी किए गए घोषणा पत्र के अनुसार, कर्मचारियों की मुहिम को आगे बढ़ाया जाएगा। राज्यों में भी कर्मियों की मांगों के लिए सम्मेलन/सेमीनार और प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं।


PFRDA Act को संशोधित करें-
यादव ने कहा कि रैली की प्रमुख मांगों में पीएफआरडीए कानून में सुधार या उसे पूरी तरह से हटाना शामिल है। विभिन्न राज्यों में ओपीएस को लागू करना मुश्किल ही रहेगा जब तक इस अधिनियम को खत्म नहीं किया जाता। कारण यह है कि एनपीएस के तहत कर्मचारियों से प्राप्त धन पीएफआरडीए के पास जमा होता है। केंद्रीय सरकार ने घोषणा की है कि राज्यों को धन नहीं दिया जाएगा। ऐसे में, सरकार बदलते ही एनपीएस जहां भी लागू हो रहा है, दोबारा से लागू हो जाएगा? ऐसे में राज्यों की ओपीएस बहाली में कई समस्याएं होंगी। 


याद ने कहा कि राज्यों और केंद्रीय विभागों में अनुबंध पर या डेली वेजेज पर काम करने वाले कर्मचारियों को तत्काल नियमित किया जाए। निजीकरण पर रोक लगे और सरकारी कार्यों को नियंत्रित करने का प्रयास बंद हो जाए। Democratic Trade Union के अधिकारों का पालन सुनिश्चित करें। राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रम को छोड़कर आठवां वेतन आयोग बनाया जाए। 


OPSS पर दो कर्मचारी रैलियां हुई हैं—
सरकार को स्पष्ट रूप से बताया गया है कि वे बिना गारंटी वाली 'एनपीएस' योजना को खत्म करने और परिभाषित और गारंटी वाली 'पुरानी पेंशन योजना' को फिर से शुरू करने के पक्ष में हैं। दस अगस्त को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में कर्मचारियों की रैली हुई। रैली में बोलते हुए शिवगोपाल मिश्रा, ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव, ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन नहीं लागू की जाती है तो भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। यह संख्या कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर दस करोड़ से अधिक है। चुनाव में महत्वपूर्ण परिवर्तन होने के लिए यह संख्या महत्वपूर्ण है। 

लाखों कर्मचारियों ने 'पेंशन शंखनाद महारैली' में भाग लिया—यह एक अक्तूबर को रामलीला मैदान में हुआ था। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) ने इसे आयोजित किया था। NMOP अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पूर्व पेन्शन कर्मियों को अधिकार है। वे इसे साथ ले जाएंगे। केंद्रीय और राज्य सरकारों के लाखों कर्मचारियों ने दोनों रैलियों में भाग लिया।

बाद में, 20 सितंबर को हुई राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक में 'ओपीएस' का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा था। भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा कि हमने एक बार फिर सरकार से अपनी मांग दोहराई है। NPS को समाप्त करने और पुरानी पेंशन योजना को जल्द से जल्द बहाल करने की जरूरत है। यदि सरकार नहीं मानती तो देश भर में हड़ताल होगी, रेलवे पहिये बंद होंगे।