Mandi Bhav: अब बिना जीरे के छौंके के खानी पड़ेगी सब्जी, मंडी के भाव पहुंचे आसमान पर 

आम जनता को बढ़ती महंगाई के बीच एक और झटका लगने जा रहा है। टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतें लगातार बढ़ने लगी हैं। ऐसे में आपकी रसोई का बजट कम हो जाएगा। आम जनता लगातार महंगाई से परेशान है।
 

बिपरजॉय तूफान के कारण आवक कम होने का संकेत है कि जीरे की मांग भी बढ़ी है। जीरे को हर सब्जी में छोँक लगाने के लिए आम तौर पर प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसकी बढ़ती कीमतों ने लोगों को चिंतित कर दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, जीरे के दाम में एक हफ्ते में 150 से 175 रुपए प्रति किलो की वृद्धि हुई है। राजस्थान की नागौर मंडी में पिछले बुधवार को खुदरा मूल्य 57,500 रुपये प्रति क्विंटल था। अब तक, यह इसका सर्वकालिक उच्च दर है। कमोडिटी एक्सपर्ट बिरेन वकील ने कहा कि गुजरात में बिपरजॉय तूफान के बाद जीरे की आवक काफी कम हुई है, इसलिए भावो में वृद्धि हुई है।

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बादाम के भाव पर बिक रहा जीरा 700 रुपये प्रति किलो तक हो गया है। थोक में भी इस मसाले का मूल्य 57500 रुपये प्रति क्विंटल है। पिछले हफ्ते मुंबई में जीरे का मूल्य 625 से 700 रुपए प्रति किलो था। उंझा में 20 किलो सामान्य जीरे का मूल्य 10,500 से 11,000 रुपए था, जबकि मीडियम जीरे का मूल्य 11,100 से 11,500 रुपए था, और मुंबई में 11,500 से 13,000 रुपए से अधिक था। इस तरह, फुटकर में जीरा अब बादाम की कीमत पर बिक रहा है। बादाम का रिटेल मूल्य भी 650 से 700 रुपये प्रति किलो है।


नया उत्पाद आने में आठ महीने लगेंगे। 
फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेक होल्डर (FISS) के अध्यक्ष विजय जोशी ने बताया कि अभी उंझा में प्रतिदिन 4000 से 5000 बोरी जीरे की आवक होती है और इसकी डिमांड दोगुना है। अगले महीने टर्की और सीरिया का जीरा विश्व बाजार में उपलब्ध होगा। नए सीज़न का माल आने में अभी आठ महीने लगेंगे, इसलिए जीरा महंगा हो रहा है। वर्तमान में देश में सिर्फ 15 लाख जीरे की बोरी हैं, जबकि देश को हर साल 35 लाख बोरी चाहिए। ऐसे में मांग और मूल्य दोनों ही बढ़ेंगे।

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