OPS Scheme: खुशखबरी...19 साल बाद, देश के इन 5 राज्यों में एक बार फिर से OPS लागू

OPS Scheme1 अप्रैल 2004 से बंद की गई पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर सरकारी कर्मचारियों की चिंता अब खत्म होती नजर आ रही है। कर्मचारियों और उनके संगठनों की लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद, सरकार ने इसे दोबारा लागू करने का फैसला किया है। इस योजना के फिर से शुरू होने से लाखों सरकारी कर्मचारियों को राहत मिलेगी। यह फैसला उनके भविष्य को सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए लिया गया है।

 

OPS Scheme: पुरानी पेंशन बहाली की मांग : 1 अप्रैल 2004 से केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों ने नई पेंशन प्रणाली (NPS) लागू करते हुए पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर दिया था। इसके बाद से ही कर्मचारी संगठनों ने नई पेंशन योजना का विरोध शुरू किया।

  • महत्वपूर्ण ज्ञापन: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने प्रधानमंत्री को कई बार ज्ञापन भेजकर पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की मांग की।
  • कर्मचारियों की मांग: नई पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन में लौटने का विकल्प दिया जाए।

पुरानी पेंशन योजना और तकनीकी चुनौतियां

कुछ राज्यों ने कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए पुरानी पेंशन को फिर से लागू किया है, लेकिन तकनीकी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं

  • जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन बहाल की है, वहां एनपीएस के अंतर्गत कटे अंशदान को लेकर स्पष्टता की कमी है।
  • 2009 तक केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों पर विकल्प दिया था, लेकिन यह सभी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध नहीं था।

केंद्र सरकार की समिति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का समर्थन

26 अगस्त को जे.एन. तिवारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और पुरानी पेंशन बहाली पर चर्चा की।

  • मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर एक समिति बनाई है।
  • समिति की रिपोर्ट: केंद्र सरकार की समिति पुरानी पेंशन योजना को समर्थन देती है।

नई पेंशन योजना (NPS) पर विचार

नई पेंशन योजना को व्यापक रूप से लागू किया गया है, जिसमें सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों के कर्मचारी शामिल हैं।

  • चुनौती: सरकार के लिए NPS को रोकना मुश्किल हो सकता है।
  • विकल्प की आवश्यकता: कर्मचारियों को नई या पुरानी पेंशन योजना में से किसी एक का चयन करने का अवसर मिलना चाहिए।

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राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा केवल कर्मचारियों तक सीमित नहीं है।

  • चुनावी प्रभाव: यदि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन में लौटने का विकल्प नहीं दिया गया, तो इसका असर आगामी लोकसभा और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है।
  • सरकारी नीतियों पर दबाव: कर्मचारी संगठनों ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, विरोध जारी रहेगा।

पुरानी पेंशन योजना की बहाली से कर्मचारियों को राहत मिलेगी और यह सरकार के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है। हालांकि, तकनीकी और नीतिगत चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक होगा।