Standard Deduction: स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा में हो सकता है ये बड़ा बदलाव

Standard Deduction News: सैलरी क्लास के लिए उम्मीद, क्या होगी स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में वृद्धि?

 

Haryana Update, Standard Deduction In Budget 2024: स्टैंडर्ड डिडक्शन सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली कटौती है जिसमें पैसा बचाने के लिए निवेश की भी ज़रूरत नहीं पड़ती है। सैलरी क्लास काफी समय से स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाए जाने की डिमांड कर रहा है।

ये डिमांड और तब ज्यादा बढ़ गई है जब पिछले साल सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन (STANDARD DEDUCTION) को नए टैक्स रीजीम (NEW TAX REGIME) के साथ भी जोड़ दिया। स्टैंडर्ड डिडक्शन को रिवाइज हुए लगभग पांच साल हो चुके हैं। पिछली बार स्टैंडर्ड डिडक्शन को साल 2019 में बदला गया था। हालांकि, साल 2024 का बजट सिर्फ अंतरिम बजट होगा लेकिन तब भी मध्यम वर्ग सैलरी क्लास काफी उम्मीदें लगाकर बैठा है। ऐसी उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ टैक्स पर कुछ छूट दे सकती है। क्या बजट 2024 में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाया जाएगा?

स्टैंडर्ड डिडक्शन क्या है

स्टैंडर्ड डिडक्शन एक फ्लैट कटौती है, सैलरी क्लास टैक्सेबल इनकम (SALARY CLASS TAXABLE INCOME) में से बिना किसी खर्च या सेविंग दिखाए बिना छूट पा सकता है। इसका उद्देश्य उन टैक्सपेयर्स के बीच समानता हासिल करना है जो वेतन के माध्यम से इनकम और कारोबार से इनकम पाते हैं। अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन पुराने टैक्स रीजीम और नए टैक्स रीजीम दोनों में मिल रही है।

कब लाया गया स्टैंडर्ड डिडक्शन

स्टैंडर्ड डिडक्शन पहली बार भारत में 1974 में पेश किया गया। स्टैंडर्ड डिडक्शन के इतिहास के मुताबिक यह कटौती वेतनभोगी व्यक्तियों और पेंशनर्स के लिए उनके कुछ खर्चों की भरपाई के लिए उपलब्ध थी। इसे 2004-2005 में टैक्स को आसान बनाने के लिए हटा दिया। इसे 2018 में केंद्रीय बजट में फिर से पेश किया गया और सैलरी क्लास कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 40,000 रुपये तय किया गया। 1 फरवरी 2019 को पेश अंतरिम बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई। हालांकि, यह पुराने टैक्स सिस्टम तक ही सीमित था। बजट 2023 में इसे नए टैक्स रीजीम के साथ जोड़ दिया गया। नए टैक्स रीजीम में 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की इजाजत दी गई।

क्या बजट 2024 में इसे बढ़ाया जाएगा

स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाने के कई कारण हैं। कई टैक्स एक्सपर्ट का मानना है क इसे 50,000 रुपये बढ़ाकर 1,00,000 रुपये किये जानेक की जरूरत है। लोगों को महंगाई से निपटने और डिस्पोजेबल इनकम बढाने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाए जाने की जरूरत है।

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