No Smoking: 'Somking is injured to health' पैकेट पर घोषणा नहीं Nicotine Department मारा छापा इतने रुपये जुर्माना वसूला

Latest news: नगर में लंबे समय बाद नापतौल विभाग ने कार्रवाई की है। पांच महीने पुराने मामले में बीड़ी के पैकेट पर महत्वपूर्ण घोषणाएं नहीं होने से बीड़ी निर्माता कंपनी सहित वितरक और विक्रेता पर दो लाख पांच हजार रुपये का जुर्माना ठोका गया।

 

Haryana Update: बड़ी बात यह रही कि सभी ने जुर्माने की राशि जमा करवा दी है। इसकी पुष्टि नापतौल विभाग के अधिकारी ने की है।

 

 

 

दुकानों का आकस्मिक निरीक्षण

नापतौल विभाग के निरीक्षक केआर चौधरी ने बताया कि नौ फरवरी को राजगढ़ की किराना दुकानों का आकस्मिक निरीक्षण किया गया था। इस दौरान पुराना बस स्टैंड स्थित महेश ट्रेडर्स से जांच के दौरान 27 नंबर बीड़ी के पैकेट जब्त किए गए थे। इन पैकेट पर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं नहीं थी। इस मामले में वितरक रहे नया बस स्टैंड स्थित गोकुल ट्रेडर्स किराना एवं निर्माता छोटाभाई जेठाभाई पटेल एंड पटेल कंपनी गोदिया महाराष्ट्र के खिलाफ कुल दो लाख पांच हजार का अर्थदंड आरोपित कर 26 जुलाई को जमा कराया गया। राजगढ़ में इसे बड़ी कार्रवाई जरूर माना जा रहा है, लेकिन कई जगह पर एक्सपायरी सामान की बिक्री का खेल धड़ल्ले से जारी है।

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खाद्य विभाग को भी होना होगा सक्रिय

एक तरफ जहां नापतौल विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है तो दूसरी तरफ अब खाद्य विभाग को भी सक्रिय होना होगा। कई जगह खुली खाद्य सामग्री धड़ल्ले से बेची जा रही है। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। कई बार सामान कम तौलने की शिकायतें भी आती हैं। ऐसे में जरूरी हो चुका है कि ग्राहकों के हितों को देखते हुए खाद्य विभाग एवं नापतौल विभाग कार्रवाई करे।

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गांवों में बिक जाती है अमानक सामग्री!

सूत्रों की माने तो गांवों में अमानक और एक्सपायरी सामग्री तक बिक जाती है। दरअसल, गांवों में ठोस जांच हो ही नहीं पाती है। ग्रामीण कई बार प्रोडक्ट की एमआरपी से लेकर निर्माण और समाप्ति तिथि देखे बिना ही सामान खरीद लेते हैं। ऐसे में गांवों में यह कामकाज भलीभांति बिना किसी रोक-टोक के संचालित हो जाते हैं।

एमआरपी से ज्यादा वसूलते हैं कई दुकानदार

सबसे ज्यादा धांधली पानी और ठंडे पेय पदार्थ की बोतल से लेकर कई बार पैकिंग के दूध तक में होती है। इन पर लिखी एमआरपी से अक्सर एक या दो रुपये बढ़ाकर ही ग्राहकों से वसूले जाते हैं। जब कोई विरोध करता है तो फ्रिज के चार्ज की बात कहकर उन्हें रवाना कर दिया जाता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर जिम्मेदार विभाग कब ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जो एमआरपी से भी ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं।