चीन को भारत का जवाब, बार्डर पर भारत करने वाला है ये काम

HAL: भारत (India) और चीन(China) के बीच पिछले दो साल से लद्दाख स्थित सीमा पर तनाव जारी है. इस बीच ड्रैगन कई मौकों पर अरुणाचल से लेकर उत्तराखंड तक भारतीय सेना की चौकसी को परखने की कोशिश करता रहा है. अब सरकारी एयरोस्पेस (Aerospace) कंपनी हिंदु्स्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) चीन की इन हरकतों से निपटने का स्थायी समाधान लाने जा रही है.
 

New Delhi. भारत (India) और चीन(China) के बीच पिछले दो साल से लद्दाख स्थित सीमा पर तनाव जारी है. इस बीच ड्रैगन कई मौकों पर अरुणाचल से लेकर उत्तराखंड तक भारतीय सेना की चौकसी को परखने की कोशिश करता रहा है. अब सरकारी एयरोस्पेस (Aerospace) कंपनी हिंदु्स्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) चीन की इन हरकतों से निपटने का स्थायी समाधान लाने जा रही है. 


रिपोर्ट्स की मानें तो एचएएल(HAL) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चलित ऐसे ड्रोन (Drone) विकसित कर रहा है, जो कूटनीतिक अभियानों के लिए ऊंचाई वाले इलाकों में भेजे जा सकेंगे. ये ड्रोन कई खूबियों और हथियारों से लैस होंगे. साथ ही ये सीमाओं पर कई घंटों तक उड़ान भरने में सक्षम होंगे.

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सशस्त्र बलों की जरूरतों के हिसाब से बनाए जा रहे ड्रोन
एचएएल से जुड़े कुछ अधिकारियों ने बताया कि जिन ड्रोन्स के निर्माण की ओर कदम बढ़ाए गए हैं, वे रोटरी विंग वाले होंगे और यह एक बार में 40 किलोग्राम तक वजन उठा सकेंगे. यानी ये ड्रोन मिसाइल से लेकर सेंसर्स तक से लैस होंगे. बताया गया है कि ये ड्रोन्स सशस्त्र सेनाबलों की जरूरतों के हिसाब से तैयार किए जा रहे हैं, ताकि चीन के साथ लगती पूरी सीमा की निगरानी की जा सके.

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एचएएल (HAL) ने इस ड्रोन की पहली उड़ान के लिए एक टारगेट भी सेट कर लिया है. बताया गया है कि सरकारी कंपनी अगले साल के मध्य यानी 2023 के बीच में ही ड्रोन्स की टेस्टिंग शुरू कर देगी. इस प्रोजेक्ट के पहले फेज में 60 ड्रोन्स बनाए जाने हैं.

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अधिकारियों का कहना है कि इन लंबी क्षमता तक उड़ान भरने में सक्षम ड्रोन्स (Drones) को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) तकनीक पर विकसित किया जाएगा. सशस्त्र बल इन्हें न सिर्फ जरूरत का सामान लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल करेंगे, बल्कि हथियार के तौर पर भी प्रयोग कर सकेंगे. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ड्रोन (Drone) को इस तरह से बनाया जा रहा है कि यह सेना के भी कई काम कर सके. इसमें सेंसर्स के अलावा मिसाइलों और अन्य हथियार भी लगाए जा रहे हैं. 

 

इस्राइल (Israel) से चल रही हेरोन ड्रोन को लेकर बात
एचएएल(HAL) इस्राइल की कंपनी से सहयोग के जरिए हेरोन टीपी ड्रोन्स (TP Drones) बनाने पर भी विचार कर रहा है. अफसरों के मुताबिक, इस्राइल के साथ बनने वाले ड्रोन न सिर्फ सशस्त्र बलों के काम आएंगे, बल्कि इन्हें वैश्विक सप्लाई के लिए भी मैन्युफैक्चर किया जाएगा. गौरतलब है कि हेरोन ड्रोन 35 हजार फीट की ऊंचाई पर 45 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है. इन्हें सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम की मदद से लंबी दूरी तक उड़ाया जा सकता है. इसके अलावा एचएएल (HAL) दो अन्य ड्रोन प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहा है.

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