India-US Tension: F-16 को लेकर भारत और अमेरिका के बीच टेंशन बढ़ी, जानिए क्यों
Haryana Update. भारत ने बाइडन प्रशासन के इस निर्णय पर अपनी सख्त नाराजगी जताई है। भारत का तर्क है कि अमेरिका को इस तरह से फैसला लेने से पूर्व उसको विश्वास में लेना चाहिए था, लेकिन बाइडन प्रशासन ने इस तरह की जानकारी को साझा करना उचित नहीं समझा।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एफ-16 से भारत-अमेरिका के संबंधों पर असर पड़ेगा। आखिर भारत इस फैसले से क्यों विचलित है। क्या इस निर्णय के बाद पाकिस्तान और अमेरिका एक दूसरे के निकट आएंगे। आखिर इसके क्या कूटनीतिक मायने हैं।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण है। दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर बड़े मतभेद है। ऐसे में पाकिस्तानी सेना को किसी तरह की सैन्य सुविधा प्रदान करने से पहले भारत से परामर्श करना एक कूटनीतिक मर्यादा है। खासकर ऐसे में जब अमेरिका और भारत के बीच मधुर संबंध है।
दोनों रणनीतिक रूप से साझेदार है। अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड का भारत सदस्य है। ऐसे में भारत की अपेक्षा होगी कि अमेरिका इस तरह की जानकारी साझा करे।
2- पाकिस्तान और अमेरिका के बीच वर्ष 2016 F-16 फाइटर जेट पर सौदा हुआ था। दोनों देशों के बीच यह रक्षा डील भारत के सामरिक हितों के लिए खतरनाक थी। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस रक्षा डील को हरी झंडी दी थी।
ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान को लगभग 70 करोड़ डालर कीमत के आठ F-16 लड़ाकू विमान बेचने का फैसला किया था। उस वक्त भारत ने अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा को तलब कर पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमान बेचने के ओबामा प्रशासन के निर्णय पर अपनी नाखुशी और निराशा जाहिर की थी।
Also Read This News- Twitter: ट्विटर पर कितनी बार किसी ट्वीट को कर सकते है Edit, जानिए
Jaishankar Visits: सऊदी अरब में भारतीयों से मिले विदेश मंत्री एस जयशंकर, कहा-वंदे भारत मिशन के तहत 70 3- अमेरिका द्वारा फाइटर जेट के लिए पैकेज का ऐलान करना बड़ा झटका देने वाला है। दरअसल, बाइडन प्रशासन ने इस फैसले के जरिए वर्ष 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्णय को पलट दिया है।
ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को सुरक्षा मदद देने से साफ इनकार कर दिया था और कहा था कि पाक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका की कोई मदद नहीं कर रहा। ट्रंप के कार्यकाल में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंध काफी तल्ख हो गए थे। इसकी एक बड़ी वजह पाकिस्तान और चीन की निकटता भी रही है। इसको लेकर अमेरिका और पाकिस्तान में लंबा खिंचाव शुरू हो गया था।
4- उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान को यह राशि मुहैया कराकर पाकिस्तानी सेना को मजबूत करने की कोशिश की है। इससे भारत और अमेरिका के मध्य संबंधों को बड़ा झटका लगा है। अमेरिका के इस फैसले से उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं।
खासकर तब जब पाकिस्तान पहले से ही चीन का घनिष्ट मित्र है। पाकिस्तान 47 फीसद हथियार चीन से खरीदता है। पाकिस्तान ने बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भारत के खिलाफ इसी लड़ाकू विमान एफ-16 का इस्तेमाल किया था। हालांकि, अमेरिका ने पाकिस्तान के इस कदम पर सख्त ऐतराज जताया था।
क्या है अमेरिका की सफाई
अमेरिकी के एक अधिकारी डोनाल्ड लु ने बताया कि पाक को दी गई मदद में कोई एयरक्राफ्ट या कोई हथियार शामिल नहीं है। ये मदद पाकिस्तान को सिर्फ इसलिए दी गई है, ताकि वो अपने सुरक्षा हथियारों की मेंटेनेंस कर सके।
अमेरिका ने कहा कि पाकिस्तान इस राशि के जरिए अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद करेगा। इससे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को बल मिलेगा। ऐसा कहकर उन्होंने भारत को यह संकेत दिया है कि यह कोई सैन्य मदद नहीं है। उन्होंने भारत का नाम लिए बगैर कहा है कि यह मदद सैन्य मदद नहीं है।
Also Read This News- Moosewala Murder Case: पंजाब पुलिस का बड़ा खुलासा, बोले सलमान खान की भी रेकी करवाई थी लारेंस बिश्नोई ने
क्या है F-16 की खूबियां What are the features of F-16
पाक वायु सेना के पास अमेरिका के F-16 हैं। यह मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है] जो पाक सेना की अगुवाई करता है। लाकहीड मार्टिन कंपनी द्वारा बनाया गया फाल्कन F-16 एक मल्टीरोल फाइटर प्लेन है। F-16 में सिंगल इंजन लगा है। इसकी लंबाई 49 फीट 5 इंच और चौड़ाई 32 फीट 8 इंच होती है। एफ-16 अधिकतम 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है।
टेकआफ करते समय वजन 17009.7 किग्रा है। F-16 विमान एक बार उड़ान भरने के बाद 4200 किमी तक की दूरी तय करने में सक्षम है। F-16 विमान की स्पीड 2500 किलोमीटर/घंटा है। F-16 विमान की मारक क्षमता करीब 2000 माइलस से भी ज्यादा होती है। F-16 विमान एक M-61A1 20मिमी मल्टीबैरल कैनन विथ 500 राउंड, 6 एयर टु एयर, 2 एयर टु ग्राउंड एक साथ ले जाने में सक्षम है।