सूरज से उठा है तूफान, रास्ते में आएगी धरती! इस तूफान का सीधा असर दुनिया पर, नासा को बड़े नुकसान की आशंका

सूरज से उठे तूफान से हिंद महासागर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।,जिससे वायरलेस कनेक्शन में कहीं-कहीं बाधाएं आईं, लेकिन इस बार सूरज से उठने वाला तूफान बड़ा और अधिक प्रभावशाली है
 

बीते हफ्ते आए सोलय फ्लेयर्स की ताकत कम हुए अभी 24 घंटे भी नहीं बीते हैं कि इसी बीच अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा ने एक बार फिर सोलर फ्लेयर्स की आशंका जताई है।

नासा ने कहा कि सूरज से उठने वाला तूफान पिछले वाले सोलर फ्लेयर्स से भी ज्यादा खतरनाक होने वाला है। इस तूफान का सीधा असर दुनिया पर पड़ने वाला है। यहां तक ​​कि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ कर सकता है। जिससे जीपीएस और इंटरनेट कनेक्शन बाधित हो सकता है।

क्या होता है सोलर फ्लेयर्स?
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, सोलर फ्लेयर्स सूर्य के केंद्र से निकलने वाली प्लाज्मा और चुंबकीय तरंगों के बड़े विस्फोट से बनते हैं। जिसके परिणामस्वरूप अरबों सौर कण चारों ओर बिखर सकते हैं।

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सौर मंडल पर इसका प्रभाव रोका नहीं जा सकता है। एक हफ्ते पहले सौर मंडल में सोलर फ्लेयर्स के रूप में उठने वाला तूफान देखा गया था।

सूरज से उठे तूफान से हिंद महासागर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। जिससे वायरलेस कनेक्शन में कहीं-कहीं बाधाएं आईं। लेकिन इस बार सूरज से उठने वाला तूफान बड़ा और अधिक प्रभावशाली है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि 19 अप्रैल को नासा ने एक सोलर फ्लेयर्स के बढ़ने की घोषणा की। इसी तरह 20 अप्रैल को सूरज से उठे तूफान ने धरती को प्रभावित किया। इससे होने वाले नुकसान की आशंका पहले से ही थी। नए सौर तूफानों के आने से नुकसान और बढ़ सकता है।

क्या पड़ता है पृथ्वी पर प्रभाव
हालांकि, सभी सोलर फ्लेयर्स पृथ्वी तक नहीं पहुंचते हैं, लेकिन सोलर फ्लेयर्स या हाई-स्पीड सोलर विंड्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल में अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं।

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सौर तूफान ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), रेडियो और उपग्रह संचार जैसी अंतरिक्ष संबंधी सेवाओं के संचालन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके कारण विमान उड़ान, पावर ग्रिड और स्पेस रिसर्च कार्यक्रम असुरक्षित हो जाते हैं।