Gyanvapi Case Verdict: जानें क्या है ज्ञानवापी केस, क्यों हिंदू पक्ष फैसले को बता रहा अपनी बड़ी जीत?
 

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाते हुए कहा है कि केस की सुनवाई जारी रहेगी. ये फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की याचिका खारिज कर दी.
 

Gyanvapi Case Verdict in Hindu Side Favor: जिला जज एके विश्वेश ने कहा की पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर मामले की सुनवाई जारी रखनी चाहिए. मामले में अब अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. आइये आपको बताते हैं इस के से जुड़ी हर अहम बातें. 

 

 

1.वाराणसी के मध्य में ललिता घाट के पास काशी विश्वनाथ मंदिर है. मंदिर के बगल में ज्ञानवापी मस्जिद है. संक्षेप में, विवाद यह है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर के कुछ हिस्सों को नष्ट करके बनाई गई थी.

 

 

इस साल की शुरुआत में, अगस्त में वाराणसी की स्थानीय अदालत ने अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें हिंदू धर्म की पांच महिलाओं द्वारा दायर मुकदमे की स्थिरता पर सवाल उठाया गया था.

 

 

2.मई में, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वाराणसी के जिला न्यायाधीश की अदालत को सौंप था. इसे निचली अदालत से स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उस समय तक सुनवाई हो रही थी.

3.सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, वाराणसी में सिविल जज के समक्ष दीवानी मुकदमे की सुनवाई यूपी न्यायिक सेवा के एक वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी के समक्ष की जाएगी.

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4.मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से एक महीने पहले, वाराणसी की सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों का दावा करने वाली हिंदू महिलाओं की याचिका के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियो रिकॉर्डिंग का आदेश दिया था.


5.मस्जिद में वीडियो रिकॉर्डिंग की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में वाराणसी की अदालत में पेश किया गया था, लेकिन हिंदू याचिकाकर्ताओं ने विवादास्पद रूप से कुछ ही घंटों बाद विवरण जारी किया.


6.रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिद परिसर के भीतर एक तालाब में एक 'शिवलिंग' पाया गया था. जिसका इस्तेमाल मुस्लिम प्रार्थनाओं से पहले 'वज़ू' के लिए किया जाता था. उस वक्त मामले की सुनवाई कर रहे जज ने इस तालाब को सील करने का आदेश दिया था.


7.सदियों पुरानी मस्जिद के अंदर इस वीडियो रिकॉर्डिंग को ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.


8.याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वीडियो रिकॉर्डिंग 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के खिलाफ है, जो 15 अगस्त, 1947 तक किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को बनाए रखता है.

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9.मस्जिद समिति ने तर्क दिया था कि इस तरह की याचिकाओं और मस्जिदों को सील करने से सार्वजनिक शरारत और सांप्रदायिक विद्वेष पैदा होगा, देश भर की मस्जिदों पर असर पड़ेगा.


10.मस्जिद समिति ने वाराणसी जिला न्यायाधीश की अदालत के समक्ष इसी तरह की दलीलें दीं, जबकि हिंदू याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दावा किया कि कानून उनके मामले को रोकता नहीं है और वे अदालत में स्थापित कर सकते हैं कि मस्जिद परिसर वास्तव में एक मंदिर था.

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