Indian Railways Facts: जानिए आखिर क्यों लोहे की बनी रेलगाड़ियों में यात्रियों को नहीं लगता करंट
Haryana Update: ट्रेन में करंट कैसे नहीं फैलता?
अब हर कोई कभी-कभी सोचता है कि लोहे की ट्रेन में करंट क्यों नहीं फैलता है। दरअसल, ट्रेन के इंजन को बिजली के तारों से करंट पेंटोग्राफ के माध्यम से नहीं मिलता है। यह पुर्जा करंट को पूरी रेलगाड़ी में फैलने से रोकता है। पेंटोग्राफ एक यंत्र है जो ट्रेन के ऊपर लगे तारों से रगड़कर चलता है।
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पेंटोग्राफ बिजली के तारों से जुड़ा हुआ है
ट्रेन के इंजन पर यह पेंटोग्राफ लगाया जाता है, जो बिजली के तारों से डॉयरेक्ट कनेक्ट है। इस एक सुविधा से ट्रेन में बैठे सभी लोग सुरक्षित हैं। वहीं, पेंटोग्राफ के नीचे इंसुलेटर्स रहते हैं, जो करंट इंजन को शरीर में फैलने से रोकते हैं।
इस तरह इंजन में करंट दौड़ता है
दरअसल, ये दो प्रकार के तार खंभों से बंधे हैं: ऊपर वाला कोटेनरी वायर और नीचे वाला कॉन्टेक्ट वायर। ड्रोपन इन दोनों तारों को अलग करता है। इससे तार हमेशा पेंटोग्राफ से जुड़ा रहता है।
25KV वोल्ट का करंट पेंटोग्राफ के माध्यम से ऊपरी तार में प्रवाहित होता है और बिजली इंजन के मुख्य ट्रांसफार्मर में आता है, जो इंजन को चलाता है। इसमें कॉपर का ऊपरी वायर और हल्के लोहे का निचला वायर है। इन तारों से करंट मिलता है, जो इंजन को एनर्जी प्रदान करता है।